Friday 4 October 2019

किनारे मिलते नहीं


मेरे ईश्वर
आज का जैसा दिन आप मेरी जिंदगी में कभी मत लाना। मैं जो हमेशा सर उठा कर चलती हूँ उसका बस इतना ही कारण है कि मैंने कभी किसी का बुरा नहीं सोचा। वही मैं हूँ जो आज किसी का दिल दुखा कर आई हूँ। वो भी इस बुरी तरह। जितनी रातें मैंने जागते हुए बिताई हैं आज शायद वो भी बिताएगी। शायद आज वो भी उतना ही बेबस महसूस करेगी जितना मैं करती हूँ। शायद आज उसे भी अपने रंग रूप, साज शृंगार से उतनी ही अरुचि हो जाएगी जितनी मुझे है। शायद ऐसा हो भगवान या शायद नहीं। मैं नहीं जानती! मैं ये भी नहीं जानती कि जो मैंने किया वो सही था या गलत।

आज मैं बहुत थक गई हूँ भगवान। एक बार फिर लगा दी मेरे लोगों ने मुझ पर वही तुम भी उसके ही जैसी हो। तुम भी किसी दुहाजू के पीछे पड़ जाओगी एक दिन की कालिख। मैं कैसे समझाऊँ इन लोगों को! मेरी अपनी सोच है और अपना विवेक भी। मैं किसी और की परछाई नहीं एक स्वतंत्र व्यक्तित्व हूँ। इसलिए जो किसी और ने किया वो मैं भी करूंगी ऐसा कोई निश्चित नहीं है। मेरे मन में किसी के लिए दुर्बलता हो सही, पर अपनी सीमाएं मैं भली भांति जानती हूँ। कैसे समझाऊं इन्हें कि लोग अलग अलग होते हैं और उनके निर्णय भी। मेरी स्थिति- परिस्थिति कुछ भी हो मेरा संकल्प अटल है। मैं कभी कोई ऐसा काम नहीं करूंगी कि अपने आप से नज़र न मिला सकूँ।
जानती हूँ कि मुझे कितनी दूर जाना है और किसके साथ? ईश्वर मेरी ये हद पार करती ईमानदारी ही मेरे दुख का कारण बनी हुई है।

आज न जाने कितनी बार उन्होने कहा “तुम बेकार की बातें सोचती हो। खाली बैठी रहती हो इसलिए” मैं और खाली? सच? मुझे तो सांस लेने तक की फुर्सत नहीं। आज फिर लगा दी उन्होने तुम शादी कर लो की रट। सबको लगता है शादी ही मेरे अकेलेपन का अंतिम सहारा है। पर मेरा मन नहीं मानता। अगर वो भी मुझे नहीं समझ पाया तो मेरी आज़ादी बिना वजह ही कुर्बान हो जाएगी।

कैसे कहूँ और किससे कहूँ? बोलो भगवान? इतनी बड़ी सी आपकी दुनिया में इतनी छोटी सी बात कोई नहीं समझ सकता। जो शादियाँ लड़के वालों के लिए ब्लैंक चेक और लड़कीवालों के लिए ऋण का बोझ बनी हुई हैं ऐसी शादियों और ऐसे रिश्ते से मेरा विश्वास न जाने कब से उठ चुका है। जो मेरी नज़र में शादी है लोग उसे न जाने कितने ही नाम दे लें पर फिर भी कभी नहीं पहचान पाएंगे। मेरे जैसे लोग जो आज भी एकनिष्ठ प्रेम में विश्वास करते हैं उनको आपकी इस लेफ्ट और राइट स्वाइप वाली दुनिया में समझने वाला कोई नहीं, कोई भी नहीं।

No comments:

Post a Comment

अकेले हैं तो क्या गम है

  तुमसे प्यार करना और किसी नट की तरह बांस के बीच बंधी रस्सी पर सधे हुए कदमों से चलना एक ही बात है। जिस तरह नट को पता नहीं होता कब उसके पैर क...