हे
ईश्वर
किसी
को खोने का डर दुनिया का सबसे बड़ा डर होता है। आज मेरा वो डर हमेशा के लिए दूर हो
गया। आज पहली बार लग रहा है कि ‘अगर नहीं हुआ तो...’ से हम उबर चुके हैं। शर्तें एक बार फिर से वही थी पर जब वो पूरी नहीं हुई
तो कोई तूफान नहीं आया। राहत की सांस ली है आज मैंने। अब आगे जो भी मुसीबतें हैं, इस पहाड़ को पार करने के बाद एक कंकर से ज़्यादा बड़ी नहीं लग रही। आज पहली
बार उसके विश्वास और प्यार पर भरोसा हुआ है। मेरा वो एहसास लौटा कि कुछ भी हो वो
हमेशा मेरे साथ है।
कुछ
दिन से मेरे अंदर का आत्मविश्वास मर सा गया था। हमेशा ऐसा लगता था जैसे कोई गहरी खाई
है जिसमें मुझे कोई कूदने को कह रहा है या ऐसा जैसे कोई अंधा कुआं है जिसमें मुझे
पत्थर बांध कर डूबने के लिए छोड़ दिया गया हो। रोज़ हाथ पाँव चलाती थी, रास्ते खोजती थी पर हर रास्ता किसी अंधेरी गली में जाकर खत्म होता था।
मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि हर तनाव की लपेट में हमेशा मेरा रिश्ता क्यूँ आ जाता
है? क्यूँ कोई चीज़ न होने की आंच हमारा रिश्ता झुलसाने पर
उतर आती है! क्यूँ मेरे लिए हमेशा यही विकल्प है कि या तो मैं फायदे और नुकसान की
कसौटी पर खरी उतरूँ हर बार या हार की सज़ा मेरे रिश्ते को चुकानी पड़े।
फिर
एक दिन वो पल भी आया जब दी गई मुहलत खत्म हो गई। ऐसा लगा था जैसे मेरी साँसों ने भी
मेरा साथ छोड़ दिया है। बहुत सी कड़वी बातें सुनने को मिलीं थीं। मैंने जब इस हार को
अपनी किस्मत मान कर आगे बढ़ने का फैसला किया, उसी पल किसी
के प्यार और विश्वास ने मेरा हाथ थाम लिया। किसी ने भरोसा दिलाया मुझे कि तुम अकेली
नहीं हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। ‘साथ हूँ! सब लौट आया।
मेरा प्यार, मेरा भरोसा और वो मैं भी जो न जाने कहाँ खो गई थी।
शुक्रिया
मेरे भगवान!
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