Wednesday 27 March 2019

एक बार फिर...II


हे ईश्वर
आपकी दुनिया में एक आदमी के 100 चेहरे होते हैं, 100 रूप। पर मेरा वास्ता हमेशा उसके सबसे भयानक रूप से ही पड़ा है। जिस वक़्त ये मेरी जिंदगी में आए थे उस वक़्त भी किसी ने मेरा दिल तोड़ा था। मुझे अपमानित किया था और मेरा आत्मविश्वास तोड़ दिया था। इस इंसान ने मुझे समझाया, संभाला, प्यार से मेरे आँसू पोंछे, विश्वास दिलाया कि मेरे लिए कुछ और बना है, कोई और बना है। मुझे प्यार करने का हक़ है, खुश रहने का हक़ है। मैं प्यार के लायक हूँ। उसने ही मुझे फिर से खड़ा होने का हौसला दिया था। आज वही है जो मुझे गिरी से गिरी बात कहने से नहीं हिचक रहा। ये वही शख्स है जिसके बुरे से बुरे समय में मैंने उसका साथ दिया, प्यार दिया, उसकी ज़ुबान से मेरे लिए जो शब्द निकलते हैं मुझसे सुने नहीं जाते।
मैं समझ नहीं पा रही भगवान कि गलती किससे हुई? क्या मुझसे जिसने प्यार के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया और हार गई? या उससे जिससे मेरा सब कुछ संभाला ही नहीं गया। किसी को भी मेरा गुस्सा ही नज़र आता है, उसके पीछे का दर्द तो किसी ने कभी महसूस ही नहीं किया। क्यूँ नहीं समझ पाते हैं लोग?
उसके एक ही बार कहने पर मैंने अपनी हर बुरी आदत पुराने गंदे कपड़ों की तरह बदल डाली। फिर भी वो अपनी एक ज़िद नहीं छोड़ सका। कहता है मुझे तुम्हारी जिंदगी में कोई दिलचस्पी नहीं। तुम स्वतंत्र हो। पर वही है जो मेरी दोस्ती के दायरे में किसी और को आते देख नहीं सकता। इसलिए मैंने अपने और दुनिया के बीच में एक ऐसी सीमा रेखा बनाई है जो कोई पार नहीं कर सकता। वो रेखा पहले भी थी। यही समर्पण और एकनिष्ठा पहले भी थी।
आपसे झूठ नहीं बोलूंगी। कभी कभी मन करता है उतार दूँ उसका सच्चाई का मुखौटा। दिखा दूँ उसके अपनों और बाकी दुनिया को कि असल में वो कैसा इंसान है। कितनी कड़वाहट भरी है उसके अंदर, कितना गुस्सा। फिर मन कहता है वो मुझसे भी ज़्यादा अकेला है। मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकती। मैं उसके साथ कुछ बुरा नहीं कर सकती। प्यार करती हूँ, परवाह करती हूँ, उसके लिए बड़े बड़े सपने देखती हूँ। मैं उसका सब कुछ बर्बाद कर सकती हूँ पर मैं ऐसा करना नहीं चाहती। क्यूंकि मैं माफ कर देती हूँ, मजबूरी समझती हूँ और समझती हूँ जो वो कह रहा है वो सब सच नहीं। सच तो उसका वो दर्द है जो वो किसी को भी नहीं दिखा सकता, मुझे भी नहीं।
इसलिए भगवान इस इंसान को मैं इतना प्यार करती हूँ। चाहती हूँ कि वो इस बात का यकीन करे कि इस दुनिया में उसका एक ऐसा रिश्ता भी है जो कभी नहीं टूट सकता। एक ऐसा शख्स है जो उसके सात क्या, सात हज़ार खून भी माफ कर देगा। मेरा झुकना इसलिए नहीं  कि मैं बेशरम हूँ पर इसलिए कि मैं उसके इस चेहरे के पीछे की हक़ीक़त को जानती हूँ।
ईश्वर, मेरा ये भरम बना रहने दो कि कोई मुझे प्यार करता है वरना मेरे लिए जीने की आखिरी वजह भी नहीं बचेगी। प्लीज भगवान



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