Thursday 28 January 2021

टूटी हुई चूड़ियाँ

 

हे ईश्वर

आज से पहले कभी इतना दुस्साहस शायद मेरा न हुआ होगा। जिनके बारे में आपसे हाथ जोड़ते, दुआएं मांगते नहीं थकती थी मैं उनसे आज मैंने इतना अपमानजनक व्यवहार क्यूँ किया? वो कौन सी ज़ुबान थी जिससे मैं उनसे प्यार से बात किया करती थी और कौन सी है ये जिसने उनको अपशब्द ही अपशब्द बोल डाले। फिर भी भगवान कुछ बचा था जो शायद तब टूट गया जब मेरे झटके हुए हाथ के साथ मेरी चूड़ियों के टुकड़े पूरे कमरे में बिखर गए।

क्यूँ भगवान? जिसे मैंने साफ कहा था जाओ अब मेरी जिंदगी में तुम्हारी कोई जगह नहीं वो किस अधिकार से मेरे घर में घुसे चले आए? बिना पूछे, बिना बताए? क्या देखने आए थे वो? क्या ये कि उनकी जगह कौन ले रहा है मेरी ज़िंदगी में? मेरी ज़िंदगी है भगवान, बस की सीट तो नहीं जो एक गया तो दूसरा कोई बैठ जाएगा। वैसे भी यही तो चाहते थे न वो? जिस इंसान ने मेरे भविष्य की ख़ातिर एक दिन का भी समय नहीं निकाला वो किसी एक ही बार कहने पर इतनी दूर चला गया वो भी सब काम छोड़छाड़ कर। उनके गए हुए पैसे तो शायद वापस आ भी जाएँ मेरे भविष्य पर तो अभी भी तलवार लटकी है न।

सब कहते हैं जो भी हुआ उनके कारण ही हुआ पर मैं नहीं मानती। जो हुआ सब मेरे कारण। मेरी सच्चाई, मेरी ईमानदारी, मेरे उसूल और समझौता न करने की आदत। लेकिन फिर भी! जिसने हर कदम मेरा साथ देने का वादा किया था वो क्यूँ इस तरह मुझसे बेपरवाह हो गया? उसे तो जैसे गुजरते हुए महीनों से फ़र्क ही नहीं पड़ता! पर हर एक बीतता हुआ पल मुझ पर भारी पड़ रहा है।

कैसे कहूँ और किसको कहूँ? जब उन्होंने बताया था घरवाले नहीं मानेंगे कभी। तब से पता था कभी न कभी हमें अलग होना ही है। वो क्या सोचते हैं कि मेरी जैसी स्वाभिमानी लड़की कभी अपने सम्मान पर आंच आने देगी? क्यूँ मैं अपने मान सम्मान को दांव पर लगा दूँ? वो भी उसके लिए जो कभी समाज के सामने ये तक नहीं मान सकता कि वो मुझसे वाकिफ़ है। जिसने मेरी कोई उम्मीद कभी पूरी नहीं कि उसे मुझ पर भी कोई अधिकार नहीं। मैं आज़ाद हूँ, आज़ाद रहूँगी। उन टूटी हुई चूड़ियों के साथ मेरा रिश्ता भी टूट गया है शायद।

Sunday 24 January 2021

अब बस!!

हे भगवान

क्या ही करूँ मैं बताओ तो? इतना सब कुछ सुनना सहन करना और चुप रहना... क्या इतना आसान है? होगा शायद भगवान वरना आप मुझसे ऐसे करने को क्यूँ कहते? दुनिया में किसी की भी जिंदगी आसान नहीं होती। सब यही तो कहते हैं कि जैसा मेरे साथ हुआ वैसा किसी के साथ नहीं होता। सबने मुझे धोखा दिया है, सबने मेरा फायदा उठाया, सबने मुझसे केवल अपना मतलब निकाला और मुझे छोड़ दिया! मुझे कोई प्यार नहीं करता। ऐसा क्या नया मैं आपको कहती हूँ? आप बताओ।

मैंने इस साल के शुरू होने पर यही सोचा था कि हर उस रिश्ते को जिसे मेरी कदर और परवाह नहीं मैं भी ठोकर मार दूँगी। कभी नहीं देखूँगी उस इंसान की तरफ जिसे मुझसे प्यार तो है पर उस प्यार के लिए एक पल का भी समय नहीं हैं। कभी कुछ नहीं मांगूँगी दुनिया से, न भगवान से! हाँ तो और क्या! पहले भी कौन सी इल्तजा सुनी आपने मेरी? इसलिए इस जिंदगी और मेरे सारी उपलब्धियों के लिए धन्यवाद देने के अलावा और कोई दुआ भी अब नहीं मांगती हूँ मैं।

लेकिन भगवान ऐसा तय करने के बाद मैंने अपने चारों तरफ देखा तो मैं अकेली ही थी। ऐसा एक भी इंसान मेरे आस पास था ही नहीं जिसे मेरी परवाह या कदर हो! वैसे भी मैं जब अकेली होती हूँ, तब ही सुकून से रहती हूँ। किसी और के ख़्वाब पूरे करने के चक्कर में न जाने कितनी रातें जागते बिताई हैं मैंने। मेरा सुकून तो तभी मिलता है जब मेरी आँखों में कोई ख़्वाब न हो।

रिश्ते आते हैं तो उनके साथ उनके खोने का डर भी साथ आता है। इस खोने के डर ने न जाने क्या क्या करवा लिया। फिर भी कहाँ टीका है मेरा एक भी रिश्ता। तो अगर अकेले ही रह जाना है तो फिर किसलिए खुद को बदलूँ? क्यूँ किसी की परवाह करूँ। आप बताओ?

दोस्त मिले थे कुछ नए पर वो भी न जाने क्यूँ गलतफहमी के शिकार होकर किनारा कर गए। इतना ही जान पाते हैं क्या लोग मुझे? नहीं जानते तो क्यूँ घुस आते हैं ज़िंदगी में मेरी? अब तो ये भी नहीं कहूँगी कि आप बताओ। कहा था न कुछ नहीं मांगूँगी...सफाई भी नहीं।  

Thursday 14 January 2021

तुम्हारी मदद.....करूँ?

 

हे ईश्वर

आज खुश तो बहुत होगे तुम? अमिताभ बच्चन से ये dialogue उधार लेकर पूछती हूँ मैं अपने आपसे। क्या मैं खुश हूँ कि उनके साथ ये सब हुआ? क्या मैं खुश हूँ कि उनके जीवन में ये कठिनाई आई है? क्या मैं खुश हूँ कि उनको वो नहीं मिल पाया अब तक जो वो चाहते हैं? क्या मैं खुश हूँ कि एक अच्छा अवसर उनके हाथ में आते आते रह गया?

खुश हूँ क्या मैं कि उनकी राह में अभी भी कांटे बचे हैं? बताइये न भगवान? नहीं! इन सब सवालों का जवाब है। मैं ज़रा भी खुश नहीं हूँ कि वो किसी मुसीबत में हैं और मुझसे मदद मांग रहे हैं। मैं सोच रही हूँ उन पर ऐसी मुसीबत आई भी क्यूँ जिसका अंदेशा किसी को नहीं था। वो तो कहते हैं वो आपके बहुत नजदीक हैं। उन्हें सताने वाला, बुरा भला कहने वाला पानी भी नहीं मांगता कहीं।  फिर? क्या हुआ?

भस्म क्यूँ नहीं कर दिया उन्होंने रास्ते में कांटे बिछाने वालों को? लांघ क्यूँ नहीं गए रास्ते की हर मुसीबत को? क्यूँ भगवान? क्यूँ छोड़ दिया उनका हाथ आपने? मैं तो आपके भरोसे उनको छोड़ कर आई थी। वो भी इसलिए क्यूंकि उनकी व्यस्त जिंदगी में मेरी बकवास (!) के लिए कोई जगह नहीं थी।

मेरा कैरियर, भविष्य, मान प्रतिष्ठा सब इनके हाथ में था और इन्होंने किसी और की मदद करना जादे ज़रूरी समझा। बिना ये सोचे कि मैं क्या दांव पर लगा रहा हूँ खड़ा कर दिया मुझे firing squad के सामने। किसी का सामना करने से पहले बेहद ज़रूरी है कि आपको उसकी शक्ति का यथोचित अंदाज़ा हो। आज वो कहते हैं तुम minor थोड़ी हो। 18 से ऊपर हो, तुम्हें खुद समझ होनी चाहिए। मैंने इन पर विश्वास किया और आज ये कहते हैं मैंने थोड़ी कहा तुम्हें आग में कूदने!

ठीक है मुक्त करती हूँ तुम्हें हर आरोप से। ये सारा किया धरा मेरा है और मैं तैयार हूँ इसकी सज़ा भुगतने को। चली जाऊँगी मैं जहां जिंदगी लेकर जाएगी मुझे। कर लूँ सभी कठिनाइयों का सामना जो भी राह में आएँगी मेरी। बस इतना चाहती हूँ जिस तरह निज स्वार्थवाश उन्होंने मुझे छोड़ दिया, उस तरह कोई कभी उनको छोड़ कर न जाए।

बस इतना और... मुझसे कहीं ज़ादे काबिल, कहीं अधिक शिक्षित, कहीं अधिक समझदार लोग आपके साथ हैं और ये आप ही के शब्द हैं। इसलिए अब आप मुझे नहीं, उनको जाकर कहिए मेरी मदद करो!

 

Sunday 10 January 2021

तेरे बिना...

 

मैंने आपको खुद अपनी जिंदगी से निकाल दिया, वो भी ऐसे? पर आप ही बताइये मैं क्या करती? आप मेरे साथ अपना भविष्य नहीं देखते, मेरे साथ रहना नहीं चाहते, साफ साफ कहते हैं कि तुम्हारी दिक्कतें तुम खुद जानो, मैं क्या करूँ…. और पैसे! पैसे तो मेरी मदद के लिए आपके पास कभी नहीं होते।

मैं एक रिश्ते में रह कर भी बेहद अकेली थी। हमेशा से थी। कब कौन सी दिक्कत में आप साथ खड़े हुए हैं, बताइये तो? केवल एक बार कह भी देते कि मैं तुम्हारे साथ हूँ, तो शायद मुझे थोड़ा सुकून होता। पर आप तो किसी एक ऐसी औरत के कहने पर मुझे ही गलत समझते हैं जो मुझे कभी मिली तक नहीं।

कैसे आगे बढ़ती मैं इस रिश्ते में जब आगे बस एक गहरी खाई है। अपने प्यार से कुछ न चाहना मैं मान सकती हूँ। पर उसी प्यार को अपनी आँखों के सामने किसी और का होते हुए देखना कैसे बर्दाश्त करती? उस पर ये बात कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता!

उन्हें फर्क नहीं पड़ता तो फिर मैं भी क्यों सोचूँ?

मुझे थोड़ा हिम्मत रखनी होगी। वो यही सब तो कहा करते थे। तुम बांझ हो, कामचोर हो, तुम्हें फ्री में मिला है ये सब कुछ, तुम चरित्रहीन हो। आज जब उनका हर आरोप स्वीकार करके मैं कह रही हूँ कि ऐसी लड़की के साथ आप मत रहो तो मानते क्यूँ नहीं? अब क्या चाहते हैं? मैंने अपना सब कुछ खो दिया और ये कहते हैं मैंने थोड़ी कुछ किया। ऊपर से ये भी कि तुम अपने किए का फल भुगतोगी!

क्या किया है मैंने भगवान? खून किया किसी का? बेईमानी की? अपने फायदे के लिए किसी के साथ गद्दारी की? अपनी किसी भी गलती का जिम्मा लेने से इंकार किया? कभी बिना मेहनत के कुछ पाने की कोशिश की? पीठ पीछे बुराई की क्या किसी की? बोलिए न?

सिर्फ उनको कुछ कड़वे बोल कह देने से हम इतने दोषी हो गए कि सारी जिंदगी झेलेंगे हम! तो फिर उनके लिए क्या सज़ा सोची आपने जिन लोगों ने मेरे साथ ये किया? या इनके लिए जिन्होंने मुझे एक स्वर्ग का द्वार दिखाया और फिर मुझे उसी नर्क में झोंक दिया जिसमें से इतने प्यार से निकाला था। कौन दोषी है और किसकी ये सज़ा है, सोचने के लिए सारी जिंदगी है भगवान।

पर फिलहाल जिंदगी का ये पन्ना जिसमें उनका प्यार लिखा था मैंने... आज अपने ही हाथों से फाड़ कर जलाना ही होगा मुझे।

Sunday 3 January 2021

गले की हड्डी

 

हे ईश्वर

4 फुट 9 इंच की एक छोटी सी काया से आपके समाज को इतनी समस्या क्यूँ है? सारा का सारा आजकल इस नन्हीं सी जान का दुश्मन बना हुआ है। क्यूँ? आप बताइये कि मैं ऐसा क्या करूँ कि मुझ पर टिकी हुई ये नज़रें कहीं और फिर जाएँ। क्यूँ मैं अपनी जिंदगी सुकून से नहीं जी सकती। मेरी 7 साल की मेहनत आज धुआँ होने की कगार पर है। आप बताइये न क्यूँ?

आपको इतना क्यूँ यकीन है कि ये मायापंछी (Phoenix) एक बार फिर अपनी राख़ से उठ कर खड़ी हो जाएगी, फिर नई हो जाएगी? कैसे भगवान? मुझे बहुत डर लग रहा है। मैं समझ नहीं पा रही हूँ कैसी जिंदगी होगी आगे मेरी? क्या होगा? क्या सच में मुझे मेरे साथ हो रहे अन्याय के आगे सर झुकाना पड़ेगा। आज तो मेरे अपने मेरे साथ हैं फिर भी उनकी आँखों में उनकी नाराजगी साफ नज़र आती है। अक्सर पूछते हैं वो मुझसे अब तुम आगे क्या करोगी?’ साफ दिखता है उनकी आँखों में कहीं हम पर बोझ तो नहीं बन जाओगी?’ नहीं भगवान! मैं किसी पर बोझ नहीं बनूँगी क्यूंकि आपका आशीर्वाद और प्यार हमेशा मेरे साथ है। जब मेरे पास कुछ भी नहीं था तब भी विश्वास तो था एक दिन सब ठीक हो जाएगा उसी तरह आज ये समय मुश्किल सही पर आगे सब ठीक होगा। मुझे बस ये समय किसी तरह काटना है।

पता नहीं मेरा विश्वास तोड़ कर, मुझे इन मुश्किलों में अकेला छोड़ कर उनको क्या मिला? ठीक ही चल रही थी मेरी जिंदगी। थोड़ा सा ठोकर ही तो लगी थी, संभल जाते हम देर सवेर। हमें क्या पता था गिरने से बचने के लिए cactus की टहनी थाम ली हमने। सहारा तो मिला लेकिन हाथ भी तो ज़ख्मी हो गए। आज लगता है ऐसा सहारा मैंने चाहा ही क्यूँ था? हर इंसान अपने जीवन में किसी न किसी पर तो विश्वास करता ही है। मैंने भी किया तो क्या गलत किया?

लेकिन उनके लिए, मेरे अपनों के लिए और हर उस इंसान के लिए जिसे मैं जानती हूँ... पैसे से जादे ज़रूरी कुछ नहीं। न मेरी जान, न मेरी इज्ज़त, न मेरा आत्म सम्मान!

ईश्वर मुझे तुम्हारी दुनिया में नहीं रहना पर मैं आपकी इजाजत के बिना नहीं जा सकती। जितना मेरा जीवन लिखा है उतना मुझे काटना ही होगा। इसलिए जैसा भी है मैं जिऊंगी और बहुत अच्छा जीवन जिऊंगी.... वादा करती हूँ।

बस अब इतना और.... अब किसी भी इंसान को मेरे नजदीक मत लाना। मैं आदमजात की परछाई से भी बहुत दूर रहना चाहती हूँ भगवान।

किस किनारे.....?

  हे ईश्वर मेरे जीवन के एकांत में आपने आज अकेलापन भी घोल दिया। हमें बड़ा घमंड था अपने संयत और तटस्थ रहने का आपने वो तोड़ दिया। आजकल हम फिस...