Sunday, 3 January 2021

गले की हड्डी

 

हे ईश्वर

4 फुट 9 इंच की एक छोटी सी काया से आपके समाज को इतनी समस्या क्यूँ है? सारा का सारा आजकल इस नन्हीं सी जान का दुश्मन बना हुआ है। क्यूँ? आप बताइये कि मैं ऐसा क्या करूँ कि मुझ पर टिकी हुई ये नज़रें कहीं और फिर जाएँ। क्यूँ मैं अपनी जिंदगी सुकून से नहीं जी सकती। मेरी 7 साल की मेहनत आज धुआँ होने की कगार पर है। आप बताइये न क्यूँ?

आपको इतना क्यूँ यकीन है कि ये मायापंछी (Phoenix) एक बार फिर अपनी राख़ से उठ कर खड़ी हो जाएगी, फिर नई हो जाएगी? कैसे भगवान? मुझे बहुत डर लग रहा है। मैं समझ नहीं पा रही हूँ कैसी जिंदगी होगी आगे मेरी? क्या होगा? क्या सच में मुझे मेरे साथ हो रहे अन्याय के आगे सर झुकाना पड़ेगा। आज तो मेरे अपने मेरे साथ हैं फिर भी उनकी आँखों में उनकी नाराजगी साफ नज़र आती है। अक्सर पूछते हैं वो मुझसे अब तुम आगे क्या करोगी?’ साफ दिखता है उनकी आँखों में कहीं हम पर बोझ तो नहीं बन जाओगी?’ नहीं भगवान! मैं किसी पर बोझ नहीं बनूँगी क्यूंकि आपका आशीर्वाद और प्यार हमेशा मेरे साथ है। जब मेरे पास कुछ भी नहीं था तब भी विश्वास तो था एक दिन सब ठीक हो जाएगा उसी तरह आज ये समय मुश्किल सही पर आगे सब ठीक होगा। मुझे बस ये समय किसी तरह काटना है।

पता नहीं मेरा विश्वास तोड़ कर, मुझे इन मुश्किलों में अकेला छोड़ कर उनको क्या मिला? ठीक ही चल रही थी मेरी जिंदगी। थोड़ा सा ठोकर ही तो लगी थी, संभल जाते हम देर सवेर। हमें क्या पता था गिरने से बचने के लिए cactus की टहनी थाम ली हमने। सहारा तो मिला लेकिन हाथ भी तो ज़ख्मी हो गए। आज लगता है ऐसा सहारा मैंने चाहा ही क्यूँ था? हर इंसान अपने जीवन में किसी न किसी पर तो विश्वास करता ही है। मैंने भी किया तो क्या गलत किया?

लेकिन उनके लिए, मेरे अपनों के लिए और हर उस इंसान के लिए जिसे मैं जानती हूँ... पैसे से जादे ज़रूरी कुछ नहीं। न मेरी जान, न मेरी इज्ज़त, न मेरा आत्म सम्मान!

ईश्वर मुझे तुम्हारी दुनिया में नहीं रहना पर मैं आपकी इजाजत के बिना नहीं जा सकती। जितना मेरा जीवन लिखा है उतना मुझे काटना ही होगा। इसलिए जैसा भी है मैं जिऊंगी और बहुत अच्छा जीवन जिऊंगी.... वादा करती हूँ।

बस अब इतना और.... अब किसी भी इंसान को मेरे नजदीक मत लाना। मैं आदमजात की परछाई से भी बहुत दूर रहना चाहती हूँ भगवान।

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