Friday, 12 July 2019

अब नहीं आऊँगी


हे ईश्वर

आपने मेरे साथ ऐसे क्यूँ किया? कुछ भी कह लेते वो मैं सुन लेती। पर यही क्यूँ? गले पड़ी हो ऐसे जैसे कोई फांस होती है। इतने साल के रिश्ते का इतना मान भी नहीं रखा गया? तो क्या हमारे बीच जो भी था सब ज़बरदस्ती था? एकतरफा था? क्यूँ भगवान? सोच कर भी खुद से घिन आ रही है। मैं ऐसी लड़की हूँ जो किसी की मर्ज़ी की परवाह किए बिना खुद को उस पर थोप रही है? आपसे भी डर नहीं लगा उसको ऐसा बोलते हुए? क्यूँ बोलने दिया आपने उसे ऐसा?

क्यूँ करने दिया आपने उसे ऐसा? मानती हूँ मैंने भी बोला था उसे बुरा भला। पर जैसे कि वो हमेशा कहता है कुछ तो कारण होगा ऐसे कहने का। मेरे पास थी तो वजह इतना कड़वा बोलने की। मैंने अपनी पूरी जिंदगी जिसके नाम लिख दी है उसके पास मेरे लिए कुछ लम्हे भी नहीं। बार बार मुझसे यही कहता है तुम होती कौन हो?

मन तो किया बताऊँ उसे कि मैं वो हूँ जो अपनी हर चीज़ तुमको ऐसे दे देती है जैसे वो तुम्हारी ही तो है। मैं वो हूँ जिसने तुम्हारी खुशी और सफलता के लिए खुद को ऐसे झोंक दिया है जैसे तुम्हारी हर ज़िम्मेदारी मेरी है। मैं वो हूँ जिसने तुम्हारे परिवार की खुशियों की खातिर अपने दिल पर पत्थर रख लिया। मैं वो हूँ जिसे तुम्हारी हर सुख सुविधा का ख्याल रहता है। मैं वो हूँ जो तुम्हें वक़्त पर घर पहुंचा कर ही घर वापस जाती है। चाहे जितनी देर रात हो जाए मैंने कभी तुम्हें बीच रास्ते पर नहीं छोड़ा। मैं वो हूँ जिसे मिलने बुला कर तुम घंटों इंतज़ार करवाते हो और मेरे माथे पर एक शिकन तक नहीं आती। मैं वो हूँ जो तुम्हारे लिए किसी से भी टकरा सकती है। मैं वो हूँ जो हर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में तुम्हारे लिए मन्नतें मांगती फिरती है। मैं वो हूँ जिसे तुम चाह कर भी भूल नहीं सकते। मैं वो हूँ जिसे याद करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। मैं वो हूँ जो तुम्हें गलत करने से रोकने के लिए खुद तुमसे भी लड़ जाती है। मैं वो हूँ जिससे तुम जितना दूर चाहे चले जाओ पर हमेशा तुम्हारे साथ ही रहेगी।

बहुत कुछ हूँ मैं तुम्हारी मानो चाहे न मानो। आज वो प्यार नहीं है तुम्हारे मन में मेरे लिए पर कभी था। मेरे लिए उतना ही काफी है। तुम कहते हो मैंने ही खुद से दूर किया है तुमको। पर इसकी वजह तुम खुद से पूछना कभी। अभी फिलहाल बस इतना ही आज के बाद मैं कभी तुम्हारे गले पड़ने नहीं आऊँगी

No comments:

Post a Comment

अकेले हैं तो क्या गम है

  तुमसे प्यार करना और किसी नट की तरह बांस के बीच बंधी रस्सी पर सधे हुए कदमों से चलना एक ही बात है। जिस तरह नट को पता नहीं होता कब उसके पैर क...