Wednesday, 3 July 2019

परीक्षा की घड़ी


किसी को गलत रास्ता पकड़ने से रोकना इतना आसान भी नहीं है भगवान। आज उसने मेरे सब्र का एक इम्तहान और लिया। आज फिर वो उसको मिलने आया, मेरी आँखों के सामने आया, मुझे बता कर। पर बात आज यहाँ खत्म नहीं हुई। मैंने पहली बार उस औरत का रास्ता काटा है। अब तक तो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मैंने कभी उसे मौका ही नहीं दिया मुझ पर उंगली उठाने का। पर आज उसके खिलाफ आवाज़ उठा कर मैंने अपना पैर कुल्हाड़ी पर दे मारा है। पता नहीं मेरा क्या अंजाम होगा। पर आज पहली बार मैंने सच बोलने से उपजी शांति को दिल से महसूस किया। मैं एक बार फिर कटघरे में खड़ी की जाऊँगी। एक बार फिर लोग मुझसे सवाल करेंगे। पर मेरी इतनी ही अरज है ईश्वर मैं जब उन सब सवालों का जवाब दूँगी तब आप मुझे इन लोगों से नज़रें मिलाने की हिम्मत देना। ईश्वर मेरी आवाज़ को खरे सिक्के सी खनक देना। मुझे हिम्मत देना कि मैं बिना नतीजे की परवाह किए सच कह सकूँ। 

आज वो मिले तो बेहद शांत थे। पर मैं जानती हूँ ये सिर्फ तूफान से पहले की शांति है। न जाने क्या होगा जब हम सब आमने सामने होंगे। ईश्वर इतना सब होने के बाद भी डर सिर्फ एक ही है।

मुझे डर लग रहा है भगवान पर एक अजीब सा सुकून भी है। सच का रास्ता वैसे भी बहुत से काँटों से भरा होता है। बस इतनी शांति है कि मैंने सच की टेक नहीं छोड़ी। मुश्किल है ईश्वर पर आप साथ हैं तो ये समय भी पार हो जाएगा। मुझे उनकी आवाज़ में धोखा खाए इंसान का दर्द महसूस होता है। पर गलत करके भी वो मुझे गलत ठहराते हैं। इस बात का मलाल ज़्यादा है कि आज भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं। मुझसे कहते हैं तुम सब कुछ खो दोगी। अपना ये मान प्रतिष्ठा, ये नौकरी और मुझे भी। ईश्वर मेरे लिए आपका न्याय ही सर्वोपरि है। जो आप ठीक समझेंगे वही होगा मेरे जीवन में।

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