Thursday 18 July 2019

निमकौरी


हे ईश्वर

बहुत कुछ कहते हैं लोग साफ़गोई के बारे में। पर वो सब कुछ एक सफ़ेद झूठ है। सच ये है ईश्वर की तुम्हारी दुनिया में सच के सिवा सब कुछ कहते हैं लोग। एक सच ये भी है कि बहुत सोचती हूँ मैं। कल की रात भी एक बेहद मुश्किल रात थी। मैंने सोच लिया था कि शायद यही है हमारे रिश्ते का आखिरी पड़ाव। सोचा था कि अब अपने उस बुराई के दलदल में फिर से डूब जाऊँगी। दोस्तों ने समझाया था बेहद प्यार से। तुम बहुत कुछ deserve करती हो, आगे सब ठीक होगा। खुद को संभालो और आगे बढ़ो। आज सुबह यही सोच कर चुपचाप उठ कर अच्छे बच्चों की तरह सारा काम निपटाया था।

हम एक दूसरे से कितने भी नाराज़ क्यूँ न हों पर मैंने आपके पास आने का वादा किया था। वही वादा निभाने के लिए मैं आई आपके पास। मन भटक रहा था पर मैं उसको साधने की कोशिश करती रही। अच्छा ही किया। दोपहर तक वो एक बार फिर मेरे पास लौट आए थे। मैं खुद को न जाने कितनी बार समझा चुकी थी कि अब मैं कुछ नहीं सोचूँगी। बस चुपचाप रहूँगी और अपने पर ध्यान दूँगी। ये भी सोचा था कि अब कभी किसी को अपने इतने नजदीक नहीं आने दूँगी। पर उनकी आवाज़ सुनी तो लगा कि मैं खुद किस कदर खो जाती हूँ उनके न होने से। उनके साथ साथ मैं भी वापस लौट आई अपने आप में।   

मन करता है हमेशा के लिए आपके पास आने का। पर बड़ी मेहनत से बनाई है मैंने अपनी ये जिंदगी। क्या इतनी आसानी से हार मान लूँ? नहीं न! लोग सोचेंगे कि एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी लड़की भी अकेलेपन का बोझ नहीं संभाल सकी। पर ईश्वर तुम्हारे लोगों को कौन समझाए? मैं अपने अकेलेपन से उतना नहीं घबराती जितना तुम्हारी दुनिया की टटोलती हुई नज़रों से। जाने क्या जानना चाहते हैं मेरी जिंदगी के बारे में? पर मैं भी आपकी बेटी हूँ। इतनी आसानी से अपनी जिंदगी में किसी को सेंध नहीं लगाने दूँगी। वादा करती हूँ।


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