Friday 7 August 2020

झूठे इल्ज़ाम मेरी जान....II

 हे ईश्वर

क्या मैं वही हूँ जो वो कहते हैं? उनकी सोच को कुछ हुआ है या मैं ही खुद को गलत समझती हूँ। जब मैं अपने बारे में सोचती हूँ तो कुछ और ही तस्वीर बनती है और जब मैं उनकी नज़र से खुद को देखने लगती हूँ तो मैं खुद को पहचान भी नहीं पाती। एक आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर और सशक्त इंसान जो अपने घर बाहर के काम खुद ही कर लिया करती है उनकी नज़र में हर बात के लिए उन पर ही निर्भर है। एक इंसान जो कभी कभी बिना कुछ बोले, बिना किसी से मिले पूरा पूरा दिन बिता देती है वो उनके लिए एक ऐसी इंसान है जो सारा दिन बेवजह उनसे घंटों बातें करना चाहती है। एक लड़की जो अपने घर से कदम बाहर निकालना ही नहीं चाहती उनके लिए वो इंसान है जो सारा सारा दिन बाज़ारों की ख़ाक छानना पसंद करती है।

एक इंसान जो अपने घर को सजाना संवारना चाहती है और उस पर अपनी ही छाप देखना चाहती है उनके लिए एक ऐसी इंसान है जो दूसरों के घर में झांक झांक कर अपने घर के लिए वैसी ही चीज़ें जुटाती है। एक इंसान जो बाहरी चमक दमक की अपेक्षा हमेशा किसी के अंदर की सच्चाई और सरलता की मुरीद है उनके लिए एक ऐसी इंसान है जो दिखावे में विश्वास रखती है। एक इंसान जिसके पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है उनके लिए ऐसी इंसान है जिसकी बेशर्मी की कोई सीमा नहीं। एक इंसान जिसे दुनिया का दोगलापन छू भी नहीं पाया है उनके लिए एक ऐसी इंसान है जिसके दो क्या न जाने कितने चेहरे हैं।

एक इंसान जिसके जीवन में आपकी भक्ति और उनके प्यार के अलावा किसी और सोच के लिए कोई जगह नहीं है उनके लिए एक ऐसी इंसान है जो उनके पीठ पीछे न जाने कितने लोगों के साथ नज़दीकियाँ रखे हुए है। एक इंसान जिसने अथक मेहनत से अपने लक्ष्य को पाया है वो उनके लिए सिर्फ एक किस्मत की धनी है जिसको ये मौका प्लेट में सजा कर दिया गया था। जैसे मुझे तो कभी कुछ करना ही नहीं पड़ा अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए। एक कर्मठ और समर्पित इंसान उनके लिए कामचोर है। एक इंसान जिसका चरित्र गंगा की तरह पवित्र है उनकी नज़रों में चरित्रहीन है।

एक इंसान जिसने अपने जीवन में न जाने कितना संघर्ष बिना किसी शिकायत के किया है उनके लिए एक ऐसी इंसान है जो ज़रा सी मुसीबत से घबरा जाती है। एक इंसान जो उनके साथ ज़ुबान लड़ाने में ज़रा भी रुचि नहीं रखती उनके लिए एक ऐसी इंसान है जिसके पास उनकी बातों का कोई जवाब नहीं है। एक इंसान जो उनसे बेहद प्यार करती है इसलिए उनके आगे अपना सर झुका देती है, उनके लिए एक ऐसी इंसान है जिसमें ज़रा भी आत्मसम्मान नहीं है। एक इंसान जिसने अपनी आत्मनिर्भरता से समझौता करने की जगह स्वेच्छा से ये एकाकी जीवन चुना है उनके लिए वो इंसान है जो किसी की इच्छा अनिच्छा की परवाह किए बिना खुद को उस पर थोप सकती है।

एक इंसान जिसने औरों की खुशी को अपना फर्ज़ समझा और अपनी खुशियों की परवाह नहीं की उसे वो स्वार्थी समझते हैं। एक इंसान जिसकी जिंदगी में उनके सिवा किसी की परछाई की भी संभावना नहीं है वो उसे पुंश्चली समझते हैं। एक इंसान जो अपने विरोधियों का भी हमेशा भला चाहती है उसे वो चाटुकार समझते हैं। भगवान मुझे सब समझ आता है पर ये नहीं कि वो मुझे इतना गलत क्यूँ समझते हैं? क्या इतना ही जानते हैं वो मुझे? क्यूँ भगवान? आपने ऐसा क्यूँ किया है? अगर मेरे जीवन में किसी को भेजना ही था तो किसी ऐसे को क्यूँ नहीं भेजा जिसे मेरी अच्छाइयाँ दिखती हों? मैं वैसी बिलकुल भी नहीं हूँ जैसा वो समझते हैं। लेकिन फिर भी भगवान, वो ये सब कहते हैं, इस पर विश्वास भी करते हैं। वो भी दूसरों के कहने पर। और आप उनको ऐसा करते देख कर भी मौन हैं। मेरे जीवन की डोर आपके ही हाथों में है ईश्वर। आप जिस तरफ मोड देंगे उस तरफ मैं ज़रूर जाऊँगी। बिना कोई सवाल किए। लेकिन आपने क्यूँ ऐसे कायर और कमजोर पुरुष बनाए हैं जिनमें मेरा हाथ थामने का साहस नहीं तो मेरा आत्मविश्वास तोड़ कर निकल जाते हैं।

मुझे पता है कुछ समझदार लोग ये ज़रूर कहेंगे कि किसी के कहने से तुम्हें इतना फर्क क्यूँ पड़ता है। पर भगवान आप तो जानते हैं न, पूरी दुनिया चाहे जो समझे मुझे फर्क नहीं पड़ता। पर वो मुझे क्या समझते हैं उससे मुझे बहुत फर्क पड़ता है। दूसरी बात किसी भी इंसान को भगवान की बनाई किसी रचना पर सवाल करने का कोई अधिकार नहीं। मैं जो भी हूँ आपकी बनाई हुई हूँ। मुझ पर सवाल उठाने का हक़ सिर्फ आपका है।

मेरा दोस्त बनकर जिस इंसान ने वो सब भी समझ लिया था जो मैं कहती ही नहीं थी आज वही इंसान मेरे बोले हुए शब्दों का इतना गलत मतलब कैसे निकाल सकता है? क्यूँ भगवान? आप क्यूँ करने दे रहे हैं उसे ऐसा? अगर वो ये सोचता है कि अपने बुरे व्यवहार से वो मेरे मन में अपने लिए नफरत जगा दे ताकि उसे छोड़ कर आगे बढ़ना मेरे लिए आसान हो तो भी... वो नफरत भी मेरे मन में उसके लिए नहीं अपने लिए ही होगी। क्या वो ये बात नहीं जानता? इंसान ठोकर खाकर उठ सकता है पर उसका प्यार अगर उसे नीचा दिखाए तो अपनी ही नज़र में गिर जाता है वो। ऐसे गिरा हुआ इंसान कभी उठ नहीं पाता। बहुत बार उन्होने ऐसी बातें की हैं जिनको सुन कर ज़ार ज़ार रोए हैं हम। क्यूँ रुला रहा है कोई मुझे इतना? जवाब क्यूँ नहीं देते हैं आप? बताइये न?

1 comment:

  1. आपके दर्द को आपसे बेहतर कोई महसूस नहीं कर सकता क्योंकि जिस पर गुज़रती है, वही जानता है ।

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