Saturday, 18 July 2020

तू प्यार है किसी और का...


मेरे ईश्वर

मुझे पता था ये साल बेहद मुश्किल है। पर क्या सचमुच मेरा सबसे बड़ा डर सच हो चुका है? क्या सचमुच वो किसी और के हो चुके हैं? कितनी आसानी से एक casual बातचीत में उन्होंने ज़िक्र कर दिया। एक कहानी की एक पंक्ति बार बार आँखों के आगे आ रही है विरेन ने पिछले दिनों किसी लड़की से ब्याह कर लिया था। क्या इतना ही सरल था उनके लिए मेरे साथ ऐसा करना? न जाने कितनी बार उनसे कहा था कि मुझे पहले से बता देना। क्या सच में मेरी पीठ पीछे उन्होंने ऐसा किया है? इतना कच्चा था क्या मेरा प्यार कि उनके परिवार की खुशी के आड़े आ जाता?

अब क्या करूँ? किसी से कहूँगी तो वही सब सुनने मिलेगा... उसे भूल जाओ, एक नई शुरुआत करो। कुछ तो चोरी छुपे राहत की सांस भी लेंगे मैं जानती हूँ। वही सब होगा न जो पिछली बार हुआ था। वो खुश है तुम्हारे बिना तुम भी अब अपने बारे में सोचो।

मैं क्या सोचूँ भगवान? जिस इंसान को मैंने इसलिए अकेला छोड़ा था कि वो बिना किसी तनाव या दबाव के अपना भविष्य बना ले उसके भविष्य में अब मेरे लिए कोई जगह ही नहीं! विश्वास तो नहीं होता और किसी और से सच पता क्या करना? अगर ये सच नहीं भी है तो भी कभी न कभी तो सच होने वाला है। मन को यही समझा लेती हूँ। मन करता है हाथ में बंधा ये मन्नत का धागा तोड़ दूँ या उसे दे दूँ जाकर जिसके साथ वो अब है। अब तो उसका ही हक़ है न इस पर।

उनके लिए मांगी सारी मन्नतों का क्या होगा? उस वादे का क्या होगा जो उन्होंने मुझसे किया था। सबसे पहले तुम्हें बताऊंगा, सबसे पहले तुम्हें लेके जाऊंगा, हमेशा साथ रखूँगा। अब किस हक़ से रहूँगी उनके साथ?

अगर ये बात सच है तो उनको शर्म आनी चाहिए। शर्म कि जिसने उन पर आँखें बंद कर के विश्वास किया उसके साथ ऐसा करते उन्होंने एक बार भी नहीं सोचा। उन्हें ये बात नहीं छुपानी चाहिए थी। होने से पहले अगर बता देते तो शायद मेरी नज़र में उनकी इज्ज़त और बढ़ जाती।

अगर झूठ है तो फिर मैं जिंदगी भर उन्हें माफ नहीं कर सकूँगी। इतना दुख तो मुझे तब भी नहीं हुआ था जब उन्होंने रात के दो बजे मुझे सड़क पर अकेला छोड़ दिया था या जब मेरी मदद करने का वादा करके भी पीछे हट गए थे। मेरी इतनी नाज़ुक स्थिति में भी उनको मेरे साथ ये घटिया गेम खेलना उचित लगा।

क्या हो गया है इस इंसान को ईश्वर? ये वही है न जिसने कभी मुझे कभी hurt न करने का वादा किया था। खैर ये कोई पहली बार तो नहीं कि कोई अपना किया हर वादा भूल गया है। जिस तरह वो सारी बातें भूल गए भगवान उसी तरह उनको अब मुझे भी भूल जाना चाहिए। है न?  

PS: अच्छा हुआ वो सब सच नहीं था। 

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