Friday, 19 June 2020

कैसे कहें अलविदा....?

हे ईश्वर

मैंने अपनी जिंदगी में बहुत सा मुश्किल वक़्त देखा है, ये भी उसमें से एक है। इसके पहले भी तो बहुत बार बहुत सी  चीज़ें हुई हैं जब लगता था इस दर्द को बर्दाश्त कैसे करें? क्या करें कि इसकी टीस कम हो? क्या करूँ कि सांस ले सकूँ? थोड़े वक़्त के लिए मुझे सुकून मिलता है पर वो वक़्त बहुत थोड़ा होता है भगवान। कुछ ही दिन बाद फिर से सब कुछ वैसा ही हो जाता है। जिस इंसान को आप मेरी जिंदगी में ये कह कर लाए थे कि ये मेरे हर दर्द की दवा है, उसी ने मुझे इतना बेहिसाब दर्द दिया है जिसका कोई इलाज नहीं है।

ऐसा आपने मेरे साथ क्यूँ किया भगवान? वो कहते हैं कि सब अपने कर्मों का फल भुगतते हैं, ऐसा कौन सा बुरा कर्म है मेरा जो बार बार मुझे इतना कष्ट दे रहा है? एक बार मुझे मेरी वो गलती तो दिखाइए जिसकी ये सज़ा है? आप क्यूँ कुछ नहीं बोलते?

देखो न, आपकी दुनिया क्या क्या कहती है मेरे बारे में! क्यूँ इनकी ज़ुबान बंद नहीं करते आप? आपको तो पता है न सच क्या है? भगवान मैं उसको ऐसे नहीं देख सकती। उसको तो इस कष्ट से मुक्त रखो। अगर मैं ही उसकी जिंदगी का ग्रहण हूँ तो दूर कर दो मुझे। मैं जी लूँगी, पर इस वक़्त उसको कष्ट में देख कर मुझे जो तकलीफ होती है उसकी कोई तो दवा करो।

न जाने कब से आप चुप हैं और मैं जवाब मांगते मांगते थक गई। सब कहते हैं पाप की लंका भले सोने की हो, एक दिन राख हो जाती है। पर यहाँ तो वो फल फूल रही है। अत्याचारी मौज में हैं और सदाचारी किसी कोने में किसी तरह अपने दिन काट रहे हैं।

मेरे बुरे दिन कब खत्म होंगे भगवान? आप बताते क्यूँ नहीं? कई बार पूछा है मैंने आपसे। प्लीज भगवान, अपना मौन तोड़िए और मुझे बताइये मैं क्या करूँ? मैं थक गई हूँ भगवान, मुझे अब आराम चाहिए।

 


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