हे ईश्वर
आज एक इंसान ने अपनी जान
क्या ले ली, न जाने कितने लोग उसे support करने उतर
आए, पर जब वो ज़िंदा था क्या कोई भी था उसका हाथ थामने वाला? नहीं क्यूंकि लोग सिर्फ fair weather friends होते
हैं। जब आपको कोई दिक्कत हो या आप किसी से कुछ कहना चाहें तो कोई नहीं होता सुनने
वाला। फिर यही लोग शमशान घाट में आपकी चिता के सामने खड़े होकर कहते हैं ‘हमसे बात की होती! हमारे पास आए होते...’ पर जब
जीवित रहते आप इनके पास जाते हो तब मेरी तरह आपको भी फोन स्विच ऑफ मिलेंगे, contact ब्लॉक मिलेगा। ऊपर से ये भी सुनने को
मिलेगा कि आप फालतू हो जो इतना सोचते हो। कुल मिलाकर आपकी गलती कुछ इस तरह निकाली
जाएगी कि आप अपने आप को सज़ा देने पर मजबूर हो जाओगे।
वैसे एक बात बताइए भगवान? आपने इस
इंसान को मेरी जिंदगी में क्या सिर्फ इसलिए रखा है कि ये मुझे तरह तरह के श्राप दे
सके। सुबह सुबह उठ कर क्या यही सुनना चाहते हैं हम? वो भी
उसके मुंह से? जितना तुमने भुगता है वो कुछ भी नहीं है। अभी
और भुगतोगी... कोई तुम्हारा साथ नहीं देगा। अकेली ही रहोगी। मैं कब अकेली नहीं थी
भगवान? आप बताइए?
कुछ लोगों को प्यार में
तोहफे मिलते हैं, अच्छी बातें मिलती हैं, compliments
मिलते हैं। मुझे मिलती हैं गालियां! फिर भी मैं प्यार करती हूँ, क्यूँ? आपकी ये दुनिया जो मुझसे इतनी नफरत करती है
मुझे अकेले क्यूँ नहीं छोड़ देती? प्यार सिर्फ तब मिलता है जब
किसी का मतलब पूरा होता हो। जहां मैं किसी के काम न आ सकूँ वहाँ मुझे प्यार तो
मिलने से रहा, बददुआएं अलग मिलती हैं।
पता नहीं कितनों की बददुआएं
लेकर भी मैं बेशर्मों की तरह जिए जा रही हूँ। क्यूँ भगवान? आप क्यूँ
किसी को इतना बोलने का हक़ दे रहे हैं? बताइए न? आप कभी कुछ नहीं बोलते। मैं कभी दुआ मांगती हूँ, कभी
भीख और कभी कुछ भी नहीं और आप बस चुप रहते हैं। क्यूँ भगवान?
आपको अब तो कुछ करना ही पड़ेगा, कुछ तो! या तो मुझे मेरी गलती
बता दीजिए या मुझे सज़ा देना बंद कर दीजिए। प्लीज़...
No comments:
Post a Comment