Tuesday, 28 April 2020

मैं सीता माता नहीं हूँ!


मेरे ईश्वर

Lockdown के कारण आप तक पहुँचने के रास्ते बंद हो चुके हैं। मैं अपने आप को थोड़ा बेबस महसूस कर रही हूँ। इंतज़ार कर रही हूँ कि सब कुछ ठीक हो जाए और मुझे फिर से आप के पास आने का मौका मिले। न जाने क्यूँ ये मुसीबत हम पर आई है और न जाने क्यूँ हम ऐसे अकेले हैं। इस सब के बीच एक नये संकट ने रास्ता रोका है मेरा। भगवान, कोई भी लड़की कभी भी किसी आक्षेप का संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाती कभी। लोगों की अदालत बिना किसी अपराध उसे दोषी ठहरा ही देती है। जैसे अभी ठहरा दिया। अब मैं नहीं जानती क्या करूँ? कैसे समझाऊँ उन्हें कि मैं निर्दोष हूँ, निष्कलंक हूँ। भगवान, उनकी नश्तर जैसी कड़वी बातें एक बार फिर मेरा कलेजा चीर रही हैं और मैं कुछ नहीं कर पा रही। प्रेम, निष्ठा, समर्पण और वफादारी के बदले में यही मिला है आज मुझे।

उनका कहना है 10 लोग अगर कोई बात कहते हैं तो वो ज़रूर सच होगी। पर कैसे समझाऊँ? ये 10 लोग वही 10 लोग हैं जिनके पास अपने लगाए हुए आक्षेप का कोई आधार नहीं। वो तो केवल मेरी छवि खराब करके तमाशा देखना चाहते हैं। लेकिन अजीब लगता है जब उनके जैसा समझदार इंसान मुझे ऐसे कहता है। कितना मज़ा आ रहा होगा न लोगों को? है न?

पर आप चुप क्यूँ हैं? आप क्यूँ नहीं बोलते कि मैं सच्चरित्र हूँ, पवित्र हूँ! आपने ही दी थी न साक्षी तुसली रामायण पर हस्ताक्षर करके? फिर आज अपनी बेटी के लिए कुछ नहीं करेंगे? बोलिए? वो अगर मुझसे अलग होना भी चाहे तो मैं समझा लूँगी खुद को। लेकिन अपने पर ये झूठे आक्षेप लेकर सिर झुका कर जाना मुझे बिलकुल मंजूर नहीं। न उस युग में स्त्री के पास अपनी सच्चरित्रता का कोई सबूत था, न आज है। कोई बात नहीं भगवान। कभी न कभी उनको एहसास दिला देना कि मैं निर्दोष हूँ, पवित्र हूँ और मेरे मन में कोई कपट नहीं है।


Friday, 17 April 2020

मेरी मदद करो!


हे ईश्वर

मैं आपको किन शब्दों में शुक्रिया कहूँ? मैं जब भी निराश होती हूँ, आप मेरे लिए आशा की नई किरण बन कर आते हैं। आपने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया है, मुझे हिम्मत दी है। आपके भरोसे मैंने पार की है अपने जीवन की कठिन से कठिन परीक्षा। लेकिन आज तक जो भी था मुझ तक सीमित था। आज मेरे कारण उनको कष्ट हुआ। मेरे कारण उनकी आँखों में नमी है। क्यूँ भगवान? जिस इंसान को मैं तेज़ धूप से भी बचा के रखना चाहती हूँ, उसे ही क्यूँ ऐसे कष्ट हुआ मेरे कारण? क्या मुझे प्यार करने वाले हर शख्स के लिए ऐसी ही कठिन चुनौतियाँ लिखीं हैं आपने?

उनकी गलती बस इतनी है कि वो मुझ पर विश्वास करते हैं। करना भी चाहिए। मैंने भी तो विश्वास ही किया था। है न? फिर मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ? क्यूँ इतनी नफरत करते हैं मुझसे लोग? बताइये न?

ईश्वर मैं आपकी बेटी हूँ। मैंने कभी आपके किसी भी निर्णय पर सवाल नहीं किए। पर अब नहीं जानती क्या करूँ? बताइये। आप तो जानते थे कि आगे चल के ऐसी ही चुनौतियाँ आने वाली हैं। इस तरह का कष्ट उनको देने से लाख दर्जे अच्छा होता अगर मैं ही थोड़ा सा अपमान सह लेती। आज जैसे हमारे रिश्ते पर आंच तो नहीं आई होती। बोलो भगवान?

आप हमेशा की तरह चुप बैठे हो और मैंने अपने आप को समझा लिया है। आगे चाहे जैसा भी कष्ट हो, जैसी भी पीड़ा हो, मैं चुपचाप सह लूँगी। मैं अभी भी अपने हक़ के लिए लड़ रही हूँ पर मेरा वो हौसला अब टूट चुका है, मैं भी टूट चुकी हूँ। भगवान उसकी बातें अभी भी मेरे कानों में चुभ रही हैं। बहुत डर लग रहा है।क्या सचमुच लोग मेरे बारे में ऐसा ही सोचते हैं?  

मुझे प्लीज सही रास्ता दिखा दो।

अकेले हैं तो क्या गम है

  तुमसे प्यार करना और किसी नट की तरह बांस के बीच बंधी रस्सी पर सधे हुए कदमों से चलना एक ही बात है। जिस तरह नट को पता नहीं होता कब उसके पैर क...