हे ईश्वर
मैंने ऐसा क्यूँ किया भगवान? जिस रिश्ते
को इतने प्यार से, ध्यान से रखा था क्यूँ इस तरह तोड़ दिया? जब भी कुछ गलत होता है, बहुत से काश मेरी आँखों के सामने
आ जाते हैं। काश मैंने थोड़ा सा संयम रखा होता। पर कितना धैर्य रखूँ मैं भगवान? कल जब मैंने उसको वहाँ देखा, मेरी आँखों के सामने उसके
सारे झूठ नाच गए। मैं और नहीं सह सकती थी भगवान। सच में!
अब नहीं कहती तो मेरा आत्मसम्मान
जिंदगी भर मुझे कोसता रहता। अपनी नज़र में गिर कर मैं कभी नहीं उठ पाती। इसलिए जब मेरे
प्यार और आत्मसम्मान के बीच चुनना पड़ा, तो मैंने आत्मसम्मान को चुन लिया। उसे पलट कर
जवाब दिया। मेरा दिल खाली हो गया है भगवान, आँखें भर आई हैं।
पर फिर भी इतना सुकून है कि एक बार ही सही मैंने अपने आप को प्यार तो किया। खुद की
रक्षा की, खुद के लिए एक कदम उठाया। इस सब में एक बहुत बड़ी गलती
भी हुई मुझसे। वो गलती ही थी, चाहे वो मानें या नहीं। मैं उनको
कभी भी जानबूझ कर चोट नहीं पहुंचा सकती। मेरा दिल जानता है और आप भी जानते हैं।
पर अब क्या होगा? क्या वो
कभी नहीं लौटेंगे मेरे पास? क्या सच में वो मुझे चोट पहुंचाएंगे? क्या सचमुच वो मुझे सुख चैन से जीने नहीं देंगे? कल
का उनका कहा हुआ क्या वो सच में पूरा करेंगे? मन अजीब सा शांत
सा हो गया है। मैंने सोचा था हमारा रिश्ता टूटा तो मैं भी टूट जाऊँगी उसी के साथ। पर
ऐसा हुआ नहीं।
वो तो इस वक़्त खुशी से नाच
रही होगी। कौन? वही जिसके छलावों में उलझ कर वो मेरा सच्चा प्यार भूल गए हैं।
उसी के पास दोस्ती का हाथ बढ़ाने मैं गई थी। उसके मुश्किल वक़्त में उसका सहारा बनने
की कोशिश की। पर उसकी एक चाल ने मेरा ही सब कुछ मुझसे छीन लिया।
वो कहते हैं कि तुम्हारे
जीवन में कोई और आएगा। उसी से प्यार करोगी तुम और शादी भी। ये ‘कोई और’ की टेक छोड़ दो न भगवान। मैं टुकड़ों में बंटने लगी हूँ। मेरी जिंदगी रुक सी
जाती है उनके बिना। न सही रस्मो रिवाज के बंधन। प्यार की डोर तो रहने दो।
मन सहमा हुआ तो है पर उम्मीद
का दामन अभी भी नहीं छोडता। आज आपके पास आकर भी यही तो मांगा था मैंने। लौटा दो उसे
भगवान। वो मेरा है!
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