Tuesday, 14 August 2018

ये कैसा संरक्षण .!

अध्याय ५२ 
हे ईश्वर

संरक्षण गृह का मतलब शायद गलत लिखा है डिक्शनरियों में। मैं तो सोचती थी संरक्षण गृह वो जगह है जहां समाज की सताई हुई बेबस औरतों और बच्चियों को शरण मिलती है। एक ऐसी जगह जहां वो चैन की सांस ले सकें। पर भगवान मुझे नहीं पता था कि इनकी चारदीवारों में न जाने कितने बेबस मासूमों की चीखें दबी हुई हैं। नहीं जानती थी कि रात का अंधेरा इनके लिए हैवानियत का नंगा नाच लेकर आता है। ये लड़कियां भी कैसी बेवकूफ हैं! जहां आज भी लड़की को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता हो वहां उनको ऐसा क्यों लगा कि उनको मुफ्त में ही जीने का अधिकार मिल जाएगा। आजकल तो उम्र पूछने का चलन ही नहीं! दुधमुंही कन्या भी चलती है और पकी उम्र की वृद्ध महिला भी।

पर मैं भी न! ये क्या लेकर बैठ गई। मुझे भी तो वादा किया है किसी ने कि वो मेरा ख्याल रखेगा, मेरा साथ देगा। क्या हुआ उसके वादे का? आज फिर एक बार जब उसने मुझ पर झूठे इल्ज़ाम लगाए, दिल एक बार फिर से धड़कना भूल गया। आँखें फिर से गीली हो गईं और मन एक बार फिर दहल गया। कुछ नया तो नहीं पर अचानक हुआ। मेरी तो आदत ही छूट गई थी ताने सुनने की, इल्ज़ाम झेलने की। अच्छा ही किया उसने जो इतनी बेदर्दी से हाथ छुड़ा लिया अपना। उसके प्यार की आदत सी होती जा रही थी, उसकी परवाह के बिना दिल ही नहीं लगता था। उसके चेहरे से नज़र ही नहीं हटती थी।अच्छा किया उसने जो मेरा विश्वास तोड़ दिया। कुछ ज़्यादा ही यकीन होने लगा था अपने आप पर। कुछ ज़्यादा ही मुस्कराने लगे थे हम। आज जब उसने कहा मुझे कुछ नहीं रखना तो लगा ये तो एक दिन होना ही था मेरे साथ। जो दूसरों से अलग होते हैं वो चोट भी अलग ही किस्म की देते हैं। तब नहीं जब आप सावधान हों पर उस समय जब आप पूरी तरह निश्चिंत हो जाते हैं और उन पर विश्वास करने की गलती कर देते हैं।

एक दिन मैंने उनसे कहा था कि मैं आप पर खुद से ज़्यादा यकीन करती हूं। क्या इसी यकीन के चलते आपने मेरे साथ ऐसा किया? या अचानक से अपने इस निर्णय पर पछताने लगे थे कि मेरे जैसी बिगड़ी हुई लड़की का हाथ थामा आपने। शायद आस पास वालों के ताने असर कर गए। शायद किसी ने फिर से मेरी मदद करने के लिए आपको टोक दिया होगा। या फिर एक बार घरवालों का डर आपको सताने लगा होगा। हो सकता है आपकी नैतिकता ने आपको इस गिरी हुई लड़की से जुड़ने से मना कर दिया हो। कितने सारे सवाल हैं ना। जवाब कोई नहीं।

तमाशे तो चाहे जितने कर सकती हूं पर उससे होगा क्या! तुम सोच चुके हो अपना रास्ता तो मेरी शुभकामना। जाओ अब किसी और बेबस इंसान को प्यार का झूठा यक़ीन दिला देना। ये झूठा दिलासा भी कि वो एक अच्छी लड़की है और जीवन में बहुत कुछ उसे मिलना चाहिए। प्यार भी, भरोसा भी, किसी का साथ भी। जब वो इस बात पर शिद्दत से यक़ीन करने लगे, केवल उस वक़्त ही खींचना उसके पैरों के नीचे से ज़मीन। वरना पूरा मज़ा खराब हो जाएगा।

पता नहीं आने वाला दिन क्या लेकर आएगा। इसी दिन को न देखने के लिए ही तो हमने अपनी ज़िंदगी खत्म करने का ईरादा किया था। पर उनके वादे की तरह मेरा ईरादा भी कच्चा था। शायद इसलिए मिल रही है ये सज़ा मुझे। अच्छा है।

No comments:

Post a Comment

अकेले हैं तो क्या गम है

  तुमसे प्यार करना और किसी नट की तरह बांस के बीच बंधी रस्सी पर सधे हुए कदमों से चलना एक ही बात है। जिस तरह नट को पता नहीं होता कब उसके पैर क...