Saturday, 15 June 2019

शादी कर लो...II


एक बार फिर से उसने वही सब कुछ कहा। तुम अकेली हो... अच्छा नहीं लगता। मुझे चिंता होती है तुम्हारी। अब तुम भी शादी कर लो। न जाने क्या सोच कर थामा करते हैं लोग मेरा हाथ। शायद कुछ दूर साथ चलने के लिए। क्या कभी कोई ऐसा होगा जो मेरा हाथ हमेशा के लिए थाम सके? क्या मैं ऐसा चाहती भी हूँ? क्या होगा मेरा भविष्य भगवान? क्या मैं भी हजारों लोगों की तरह अपने अकेलेपन से घबरा कर समझौता कर लूँगी। पर ऐसे रिश्तों के जो भयानक अंजाम मेरी आँखों के आगे आए, उसके बाद किसी समझौते के लिए गुंजाइश ही कहाँ है? कहाँ तो हंसी खुशी से सबके सामने किसी को स्वीकार कर के घर लाए और कहाँ अब उसी को दुत्कार कर एक नई जिंदगी और एक नए रिश्ते की बातें करने लगे हैं। कितना सहज है आज की दुनिया में रिश्ते तोड़ना। अगर मेरे जीवनसाथी ने भी किसी दिन मुझे मेरे ही हक़ से महरूम करके किसी को मेरी जगह देने की बात की तो?

मेरे घरवालों का एक ही जवाब होता है तुम अपना आप कमाती हो, लात मार के बाहर कर देना उसे क्या ये इतना आसान है? क्या मैं ऐसा कर पाऊँगी? कैसे बताऊँ मैं उन लोगों को कि मेरी आत्मनिर्भरता सिर्फ एक मुखौटा है। असलियत से कोसों दूर हैं वो लोग। असल में मैं अकेले अपने दम पर एक कदम भी नहीं चल सकती। मैं दुनिया की भीड़ में खोया हुआ वो बच्चा हूँ जो अब जान चुका है कि उसे लेने कोई नहीं आने वाला। मैंने बहुत इंतज़ार किया भगवान। बहुत सी उम्मीदें कीं। पर मेरी जिंदगी में प्यार, दोस्ती और वफादारी कुछ देर के लिए ही आते हैं। हमेशा के लिए तो मेरे साथ बस ये कड़वा सच ही है।

मैं अच्छा सोचना चाहती हूँ। देखना चाहती हूँ अपने सारे सपने सच होते हुए। सच कहूँ तो आपने मेरे बहुत से सपने पूरे भी किए। शुक्रिया भगवान। फिर भी जब उसने आज कहा एक उम्र के बाद इंसान को अकेले नहीं रहना चाहिए। जब मेरी किसी के साथ रहने की उम्र थी, वो सारी उम्र तो मैंने इंतज़ार में काट दी। मेरी जिंदगी निचोड़ोगे न भगवान तो आपको इंतज़ार के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। मैं आज भी इंतज़ार कर रही हूँ। मेरी जिंदगी में किसी करिश्मे का। मेरे दिल में उनके लिए जो प्यार है वो मुझे हार मानने की इजाज़त नहीं देता। इसलिए आप पर आँख मूँद कर भरोसा करने वाली ये लड़की आज भी इंतज़ार कर रही है। शायद कभी तो उन्हें एहसास होगा कि मेरी जिंदगी में उनकी जगह वही है जो जीवनसाथी की होती है। कैसे सोच सकते हैं वो कि मैं अकेली हूँ? हाँ, मेरी जिंदगी में वो छोटी छोटी चीज़ें नहीं हैं जो किसी के सामाजिक आडंबर में होती हैं। पर मेरे मन में ईश्वर और उनके प्रति जो अगाध प्रेम है वो हर आडंबर की भरपाई कर सकता है, कर लेगा। जिंदगी इतनी बुरी भी नहीं है भगवान। उनकी इतनी प्यारी सी यादें जो साथ हैं। फिलहाल तो वो भी हैं। पर शायद उनकी शादी के बाद चीज़ें सहज नहीं रहेंगी। जो भी होगा, आप संभाल लेना। बस इतनी प्रार्थना है मेरी आपसे कि मेरे हाथ से किसी दुश्मन का भी कभी बुरा न हो।  


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