अध्याय ४८
बी चंद्रकला – बुलंदशहर के
प्रशासनिक अमले की मुखिया एवं एक गरिमामय व्यक्तित्व. थोड़ी सख्त मिजाज़ पर अत्यंत
ईमानदार एवं जुझारू. अक्सर सोशल मीडिया पर इनके चर्चे होते ही रहते हैं. अब एक बार
फिर वो चर्चा में हैं. एक अंजान पुरुष का बिना अनुमति के सेल्फी लेने का प्रयास
जेल की सलाखों पर जाकर रुका. इस पर टिपण्णी के लिए उन्हें जब एक पत्रकार ने फ़ोन
किया तो इस पूरे प्रकरण ने एक अलग ही मोड़ ले लिया. पत्रकार महोदय का दावा है कि
उन्हें उनके घर पर अंजान लोग भेजने की धमकी दी गई.
पर इस कॉल को सुनने पर आपको ऐसा
बिलकुल नहीं लगेगा. बल्कि उनके द्वारा
उठाया गया ये सवाल ‘आपके काम की जगह पर यदि कोई अंजान आदमी आपको बिना पूछे
आपकी तस्वीर लेने लगे तो आप क्या करेंगे?’ पूरी तरह वाजिब लगता है. क्या जब हमारी
अपनी माँ, बहन या बेटी के साथ अन्याय हो तब ही वो गलत होगा? पुरुष या महिला की बात
छोड़ दीजिये – किसी भी इन्सान की अनुमति के बिना उसकी तस्वीर खींचना गलत ही है.
पर ये समाज है कि किसी महिला की
ऊँची आवाज़ उसे रास नहीं आती. उनके ऊपर ये इलज़ाम लगते ही उनके उग्र व्यव्हार के
बारे में छोटे छोटे बड़ी सफाई से काट छांट कर पेश किए हुए वीडियो क्लिप्स भी उभर कर
आए. एक तो आजकल आधुनिक संपादन तकनीकों से आप वीडियो या ऑडियो को कोई भी रंग देकर
पेश कर सकते हैं. पर यदि इन क्लिप्स के साथ छेड़ छाड़ न भी हुई हो तो भी ये पुष्टि
के तौर पर एक प्रभावशाली एवं साहसी व्यक्तित्व को जानबूझ कर उग्र दर्शाने का खोखला
प्रयास मात्र है.
ये एक कटु सत्य है कि कोई भी उच्च
पद पर आसीन महिला यदि अपने बारे में हो रही गलीज़ और निकृष्ट चर्चाएँ सुन ले तो हर
तीसरे व्यक्ति के जेल जाने की नौबत बड़ी आसानी से आ जाएगी. पर कुत्तों के भौंकने से
हाथी कब से सड़क पर चलना बंद करने लगे!
हम आज की महिलाएं हैं, काबिल हैं, कामयाब
हैं, साहसी हैं और मुखर भी हैं.चिकने घड़े से प्रेरणा लेकर अब हम
तैयार हैं आपके साथ दो दो हाथ करने को. सिर्फ मुंहफट ही नहीं आप अपनी सुविधा के
लिए हमें चाहे जो नाम दे लीजिये. अपने काम का और अपने जीने का तौर तरीका बदलने
वाले नहीं. माफ़ी भी नहीं मांगेंगे, कदम भी पीछे नहीं हटायेंगे. चलेंगे और आपको भी
हमारे साथ चलना ही पड़ेगा. आदेश देंगे और आपको मानना ही पड़ेगा. नहीं तो नतीजे
भुगतने के लिए आप स्वयं तैयार रहिए.
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