अध्याय १२
हे भगवान्
प्यार करने के लिए
कितनी सज़ा मुक़र्रर है, बता दो कि मैं एक बार में काट लूँ. बार बार का ये निर्वासन
अब मुझसे नहीं झेला जाता. अगर तुम मुझ से प्यार करती हो....’विश्वास नहीं है’ ने
क्या कम आतंक मचाया था जो ये नया शिगूफा छेड़ दिया.
हाँ, मेरे ईश्वर मैं
उसे बहुत प्यार करती हूँ. बेइंतहा प्यार करती हूँ, उसी की ख़ुशी और सलामती की दुआएं
मांगती हूँ. इंतज़ार कर रही हूँ उस पल का जब उसके सपने पूरे होंगे, वो अपने पैरों
पर खड़ा होगा. अब आप पूछोगे कि ये कड़वाहट किसलिए? क्यूँ है मुझे इतनी नाराजगी.
नाराजगी मेरी कभी भी उस पर नहीं थी, भगवान्. ये आपको भी पता है. नाराज़गी तो इस बात
की है कि वो मुझे अपनी प्रेरणा नहीं, अपने रस्ते का रोड़ा मानता है. मैंने उसके साथ
थोडा वक़्त बिताना चाहा था, ये नहीं कि मेरे पीछे वो अपना वक़्त बर्बाद करे.
नाराज़गी इस बात की
भी कि वो मुझे अपना नहीं सकता. जो आज मेरी इतनी फिक्र करता है, कल उसे शायद पता भी
नहीं होगा कि मैं दुनिया के किस कोने में, किस हाल में हूँ! मेरे साथ आने वालों ने
हमेशा यही तो किया है. मुझे छोड़ का आगे बढ़ जाना तुम्हारी दुनिया की आदत है. इसलिए
तो कहा है किसी ने:
“तुझको भी जब अपनी
कसमें, अपने वादे याद नहीं.
हम भी अपने ख्वाब तेरी आँखों में रख कर भूल गये.”
किसी
को क्या फर्क पड़ता है अगर मेरे सपने उससे जुड़ जाएँ.
कभी कभी भूल जाना ही
अच्छा होता है. जितने भी लोग जीने के गुर सिखाते हैं सब इसी पलायनवादी मानसिकता को
ही प्रश्रय देते हैं. ‘भूल जाओ, जाने दो, माफ़ कर दो, अपना रास्ता देखो....’ इन्सान
को सामाजिक प्राणी कहने वालों ने उसे हमेशा ‘एकला चलो’ ही सिखाया है. मैंने भी तो
अकेले ही तय किया है ये लक्ष्य प्राप्ति का सफ़र. कोई न राह बताने वाला था, न थक
जाने पर राह सुझाने वाला. आपका इतना शुक्रिया तो अदा ही कर दूँ कि कभी अँधेरे में
तीर नहीं चलाया. पता था किस मछली की आंख को भेदने के लिए धनुष उठाया है.
एक बार जो उसके सपने
पूरे हो गये, फिर वो खो जायेगा अपनी दुनिया में.
फिर भी मैं दिल से यही चाहती हूँ कि उसके सपने पूरे हों. वो कामयाब बने,
उसकी काबिलियत का लोगों को एहसास हो. सब उस पर उतना ही गर्व करें जितना मैं आज
करती हूँ. सब उसकी उतनी ही इज्ज़त करें जितनी मेरे मन में उसके लिए है. सब उसके
अन्दर छिपे उस इंसान को जानें पहचानें जिसे जान कर मैंने सर झुका दिया है उसके
आगे. हे भगवान्, उसे सफल बना दो, सुरक्षित रखो, प्यार करो. उसका वो अकेलापन दूर कर
दो जो उसकी आँखों में नज़र आता है मुझे. और उसे ये समझा दो कि उसकी ख़ुशी और उसके
साथ के अलावा मैंने कुछ नहीं चाहा. मुझे उसकी ख़ुशी चाहिए भगवान्, पर उसमें अपना
हिस्सा भी चाहिए. उसकी अच्छी ज़िंदगी चाहिए, पर उस ज़िंदगी में अपनी जगह भी चाहिए.
मुझ पर कभी कभी बहुत
दबाव पड़ता है, ईश्वर. कभी रिश्ता तोड़ने का कभी नये रिश्ते बनाने का. पर मैं किसी
दबाव में विश्वास नहीं करती. मैं सिर्फ आप पर विश्वास करती हूँ. पूरा विश्वास करती
हूँ और जानती हूँ कि आप जो करेंगे अच्छा करेंगे. मेरी आत्मा का एक हिस्सा कहीं खो
गया है, मैं कहीं खो गयी हूँ. जब तक वो वापस नहीं आता, मैं भी नहीं आ पाउंगी. मुझे
वापस ला दो भगवान्, प्लीज.
आपकी दुनिया मेरे
जैसे लोगों को स्वार्थी कहती है क्यूँकि हम किसी की ख़ुशी के लिए अपनी आत्मा की
हत्या नहीं करते. किसी के सुकून के लिए अपने अरमान नहीं कुचलते. इसलिए भगवान
तुन्हारे लोगों को बड़ी ख़ुशी होती है जब हमारे सपने टूटते हैं. इसी बात पर हम भी
वादा करते हैं: कितने भी सपने टूटें हमारे, हम कभी नहीं टूटेंगे क्यूंकि न जाने
कितने अरमान हमारे आपने ही पूरे किये हैं. आपने हमें दिल खोल कर दिया है, बहुत
दिया है. और हम आपका शुक्रिया करते हैं.
शुक्रिया कि आपने
मेरी ज़िंदगी में उसके जैसा इन्सान लाया. वो जो न गलती करता है, न गलत बात बर्दाश्त
करता है. वो जो हर एक के साथ इंसाफ करता है. वो जिसे सही गलत की पहचान बड़ी बारीकी
से है. हे ईश्वर, उसे सुकून दे दो, मेरे हिस्से का भी. मैं चाहती हूँ की उसकी
मेहनत रंग लाये, उसे वो सब कुछ मिले जिसका वो हक़दार है. प्लीज मेरी प्रार्थना
स्वीकार करो. जिस तरह आपने मुझे मेरे सही मुकाम तक पहुंचा दिया, उसे भी पहुंचा दो.
उसके धैर्य की और परीक्षा मत लो. हे भगवान, उसे वो सुकून दो जो मैंने उसके नज़दीक
आकर महसूस किया. एक बार उसे विश्वास करने का हौसला दो और मुझे उसका विश्वास बना कर
रखने की ताक़त दो.हम दोनों ही बहुत थक गये हैं, अब हमारे सफ़र को थोडा सा विराम दे दो.
You write beautifully..:-)
ReplyDeleteThank you so much mam
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