अध्याय ३७
हे ईश्वर
एक फिल्म देख रही थी पर उसमें और
हकीक़त में ज्यादा फर्क नहीं था. शादी के बाद नौकरी करनी है या नहीं...ये एक बड़ा
सवाल होता है. और इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है. कोई लड़की को सीधे सीधे नहीं
बताता कि शादी के बाद उसे नौकरी करने देंगे या नहीं. जब लड़की ने साफ़ साफ़ पूछती है तब
गोल मोल जवाब देके टाल दिया जाता है. बहुत से घर हैं जहाँ काम काजी बेटियां हैं पर
काम काजी बहुएं लाने में ऐसे लोग भी संकोच करते हैं. कभी कभी तो लड़का जो वादे करता
है, घरवालों की आड़ लेकर उनसे बड़ी आसानी से पलट जाता है. प्रेमिका हो तो कामकाजी..पर
पत्नी घरेलू ही चाहिए. ऐसे बगला भगतों की कमी नहीं है तुम्हारी दुनिया में ईश्वर.
दोगले हैं तुम्हारे लोग, खोखली है समाज की सारी रवायतें जो सिर्फ लड़कियों को भारी
पड़ती हैं. दामाद सात समंदर पार भी जाए तो लड़की का भविष्य उज्जवल नज़र आता है.चाहे
वहां जाने के बाद ग्रीन कार्ड के लालच में वो आपकी लड़की को गच्चा क्यूँ न दे दे. लेकिन
अगर लड़की अपने उज्जवल भविष्य के लिए एक सख्त कदम उठा ले तो गाली गलौज की बौछार उसे
झेलनी पड़ती है.
यहाँ सबको अपनी बेईज्ज़ती अब नज़र आई
जब लड़की ने बारात लौटा दी और उन्हें दहेज़ की रकम लौटानी पड़ी. कहते हैं जिस गली
जाना नहीं उसका रास्ता नहीं पूछते. तो फिर लोग एक ऐसी लड़की को जिसे शादी के बाद
नौकरी करने की इच्छा है..क्यूँ हाँ कर देते हैं? कितना कुछ दिखाया इन लोगों ने
पिक्चर में. लड़के की माँ बीमार पड़ जाती है, बहन को छींटा कशी झेलनी पड़ती है, इन
लोगों की बदनामी होती है. पर क्या होता अगर वो भागने के बजाय सीधे इन लोगों से बात
करती. हम बताते हैं...बाद में बात करते हैं कह कर शादी हो जाने देते ये लोग. फिर
उसके बाद रीत रिवाज़, समाज की दुहाई देकर उसे जाने से मना कर देते. घरवालों से कहती
तो वो यही समझाते कि अब तो उस घर से अर्थी ही निकलेगी.किस तलवार की धार पर चलती
हैं लड़कियां.
‘अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे’ वाले
अंदाज़ में लड़की से वो मिलता है उसका बॉस बनकर. बहुत कम किया यार तुमने. यहाँ तो
लोग मुंह पर तेज़ाब फेंकने या उठवा कर बलात्कार करने जैसा सस्ता, सुन्दर और टिकाऊ
(!!) तरीका अपनाते हैं. तुमने तो इतनी मेहनत की और उससे ऊँची कुर्सी पाई. सचमुच एक
सफल आदमी के पीछे एक औरत का ही हाथ होता है. वैसे जिस किस्म की बेईज्ज़ती उसने की,
उसे मानसिक बलात्कार ही कहेंगे.
अच्छा ही हुआ कि मैंने शादी नहीं
की. कितनी आसानी से लोग हमारी मेहनत को बर्बाद कर देते हैं और एक पल रुक कर सोचते
ही नहीं. ऐसा ही कुछ लोग करने की कोशिश कर रहे हैं. न वो सफल हुए थे, न ये सफल
होंगे. वादा करती हूँ ईश्वर.
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