हे
ईश्वर
एक
गलती क्या मेरी पूरी जिंदगी पर भारी पड़ेगी? मैं क्यूँ इतनी
परेशान हूँ भगवान? क्या सच में टूट जाएगा हमारा रिश्ता? बहुत से काश मेरी आँखों के सामने आज आ रहे हैं। काश मैं उस वक़्त चुप
रहती। काश थोड़ा और संयम रखती। काश मैं उस बारे में बात ही न करती। काश ये, काश वो।
ईश्वर
आपने मेरे लिए एक अंतहीन प्रतीक्षा ही बनाई है क्या? अभी कुछ
दिन ही शांति से बीते थे और अब ये सब? क्या मेरा विश्वास और
मेरा रिश्ता इतना कच्चा और कमजोर है? मेरा रिश्ता है क्या
भगवान? आपकी दुनिया जिन रिश्तों को मानती है उसमें से तो है
भी नहीं।
लोग
कहते हैं खुद के लिए जियो, अपने आप को खुश रखना सीखो और किसी
से कोई उम्मीद मत करो। पर वही लोग मुझसे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जो हुआ उसे भूल जाऊँ।
एक नई (!) शुरुआत करूँ। कोई बताता नहीं कि जो नई शुरुआत अब अंत बन रही है उसको क्या
करूँ? वो कहते हैं ये अंत नहीं है। हम हमेशा साथ हैं। पर जब नाराज़
होकर खुद तक पहुँचने का हर रास्ता बंद कर देते हैं तब बहुत डर लगता है।
लोग
कहते हैं कि एक इंसान के जाने से जिंदगी थोड़े न खत्म हो जाती है। लेकिन ये बताना
भूल जाती है कि एक लंबे समय के लिए आप जीना भूल जाते हैं। समझ ही नहीं आता कि जाना
कहाँ है और करना क्या है? कुछ वक़्त के लिए सब बेमानी लगता
है। सब व्यर्थ लगता है। जैसा आज मुझे लग रहा है।
उनको
वापस ला दो भगवान। हिम्मत करूँ और ठान लूँ तो शायद उनके बिना जी सकूँ। पर ऐसी आधी
अधूरी जिंदगी किसे चाहिए ईश्वर? क्यूँ चाहिए? वो जब से मेरे साथ हैं मैंने कभी किसी और अंत की कल्पना ही नहीं की। उनका
साथ मेरी मुस्कान भी है और आंसू भी। राहत भी है और बेचैनी का कारण भी। उनका साथ ही
मेरे लिए सब कुछ है भगवान।
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