सोशल
मीडिया भी अजीब शै है। कभी भी कोई भी मुद्दा उठाओ और कुछ दिन के लिए लोग दो खेमों
में बंट जाते हैं। एक वीडियो पर नज़र पड़ी आज। एक महिला और कुछ लड़कियों में बहस चल
रही थी। मुद्दा था कि लड़कियों के छोटे कपड़े पहन कर चलने पर उनको इतना ऐतराज़ हुआ कि
महिला ने वहाँ बैठे कुछ लड़कों को उन लड़कियों के साथ रेप करने की सलाह दे डाली। अब
लोग हैं कि उसी पुरानी बहस में उलझ गए। रेप के लिए दोषी कौन?
क्या
वो लड़कियां जो अपने मनचाहे परिधान पहनने को अपना अधिकार बताती हैं। या उन महिला
जैसी सोच वाले हमारे संस्कृति रक्षक जो लड़कों को खुलेआम ऐसा घृणित अपराध करने के
लिए उकसाती नज़र आईं? ‘छोटे कपड़े’ से आपका मतलब कुछ भी हो सकता है। अभी कुछ दिन पहले इंदौर शहर में एक
स्कर्ट पहने लड़की की स्कूटी में टक्कर मार कर कुछ लड़के चलते बने। उस लड़की को भी
यही सलाह दी गई थी। कितना बोझिल होता जा रहा है हर बार इसी बहस में पड़ना। किस तरह
के कपड़े पहनें हम कि भीड़ में कोई नज़र हम पर न पड़े।
इसका
जवाब बड़ा साफ है। इस दुनिया में ऐसा कोई परिधान नहीं बना जिसे पहन कर एक लड़की खुद
को सुरक्षित महसूस कर सके। वो जो भी करे, जो भी कहे समाज
का एक तबका उसकी कोई न कोई गलती खोज ही लेगा। इसलिए सच में आप दोषी नहीं हैं। आपका
परिधान दोषी नहीं है। आपकी उम्र, आपकी सोच, आपका काम और आने जाने का समय भी दोषी नहीं है। समाज अपनी सुविधानुसार नियम
बनाता है और उनका पालन करता है। वरना घर के अंदर हो रहे शोषण को घर की इज्ज़त के नाम
पर सात पर्दों में क्यूँ रखा जाता?
अब
सवाल ये भी उठा कि सोशल मीडिया ट्रायल के बजाय लड़कियों ने पुलिस की मदद क्यूँ नहीं
ली? अगर पुलिस आ भी जाती तो क्या उस महिला के खिलाफ मामला दर्ज़ करती? ये एक अलग ही बहस का मुद्दा है। पता नहीं क्या होता? हो सकता है लड़कियों को उनके भविष्य और इज्ज़त की दुहाई देकर पूरा मामला ही
दबा दिया जाता। अब कुछ ऐसे भी महनुभाव हैं, जो उन महिला की सुरक्षा
के लिए चिंतित नज़र आए। ये सच है कि उन पर तरह तरह की फब्तियाँ कसी जा रही हैं, लोग बिना सोचे समझे उनको भी तरह तरह की बातें कह सुन रहे हैं। पर ये भी सच
है कि जिस वक़्त ये पूरा मामला हो रहा था, उस वक़्त शायद सब मूक
होकर तमाशा देख रहे थे। अब उनके और उनके परिवार के अवसादग्रस्त होने तक पर चिंता जताई
जा रही है।
अब
रहा वो सवाल जिससे ये मुद्दा शुरू हुआ था। रेप के लिए दोषी कौन? रेप के लिए दोषी कोई एक व्यक्ति नहीं होता। रेप के लिए दोषी एक कुंठा, एक सोच, एक पूरी की पूरी विचारधारा है। वो मानसिकता
है जिसने स्त्री को एक वस्तु से आगे कभी बढ़ने ही नहीं दिया। रेप के लिए दोषी वो
लोग हैं जो स्त्री को सदा एक दायरे में देखना चाहते हैं। उस दायरे से आगे बढ़ते ही उसे
सज़ा देने पर उतारू हो जाता है एक पूरा का पूरा समाज। दोष उस समाज का है जो किसी पुरुष
को उकसाता है और स्त्री की मदद की गुहार को अनसुना करता है।
No comments:
Post a Comment