अध्याय २४
ऐसी ही थी मेरी भी ख्वाहिश कभी. उनका कहना है
मुझे बच्चे की ख्वाहिश थी. मुझे बच्चे की नहीं उनके बच्चे की ख्वाहिश है क्यूंकि
मैं प्यार को पूरा होते देखना चाहती हूँ. भगवन मेरी ये छोटी सी इच्छा पूरी कर दो.
बहुत से लोग मुझे वो सारे नाम फिर से दे देंगे जो मैंने अब तक सुने हैं. पर मुझे
कोई फर्क नहीं पड़ता. जिस तरह आपका समाज किसी मासूम की मदद की पुकार अनसुनी कर देता
है मैं भी उसके सारे इल्ज़ाम अनसुने कर दूंगी. प्यार के लिए इतना तो कर ही सकती
हूँ.
हे ईश्वर
क्या होता है प्यार? क्यूँ होता है? वो सब तो एक
तरफ. मैं आपसे ये पूछना चाहती हूँ कि प्यार के नाम पर आपकी दुनिया में जो होता है
वो क्यूँ होता है? आप तो भगवान् हैं, सर्व शक्तिमान हैं, सर्व ज्ञानी हैं. तो फिर
आपने क्यूँ नहीं रोका स्वार्थ की आंच में प्यार जैसे पवित्र एहसास को झुलसने से.
बताइए न? एक इन्सान जो दुनिया के सामने तन कर खड़ा होता है प्यार उसका सर झुका देता
है. एक इन्सान जो एकांत पसंद करता है, प्यार उसे एकाकी बना देता है. एक इन्सान जो
अपनी सफलता पर राहत महसूस करना चाहता है, प्यार उसी सफलता को उसकी सबसे बड़ी हार
में बदल सकता है. जीवन में अगर कोई न हो तो आप शायद जी सकते हैं लेकिन जब आपके जीवन
में कोई आकर आपसे दूर चला जाता है तो जीना बेहद मुश्किल होता है. क्यूँ करते हैं
लोग ऐसा? क्या चाहते हैं? अपनी थोड़े देर की ख़ुशी के लिए किसी का जिंदगी भर का सुख
चैन क्यूँ बर्बाद करते हैं? रोज़ देखती हूँ ऐसे लोगों को, रोज़ पढ़ती हूँ उनके बारे
में. बड़ी भयानक कहानियां हैं भगवान. खुशकिस्मत हूँ कि मेरी कहानी ऐसी नहीं है.
मेरी कहानी में धोखा तो है पर इतना नहीं कि मैं संभल न सकूँ. हिम्मत ने मेरा हमेशा
साथ दिया है. ऐसा नहीं है कि मैं कभी गिरी नहीं पर उठ भी गई हूँ. फिर से चलने लगी
हूँ, जीने लगी हूँ, हंसने लगी हूँ.
हे भगवान लोग इसे पढेंगे तो यही कहेंगे कि प्यार
जैसा कुछ नहीं होता. सब झूठ है, फरेब है, धोखा है. धोखा क्या है और किसने दिया?
बताइए न? जब समाज को पता चलता है कि कोई किसी से प्यार करता है तब समाज ही तो है
जो उस रिश्ते पर कीचड़ उछालता है. प्यार को फरेब बनाया किसने? बताइए न? एक वक़्त था
जब प्यार वो एहसास था जिसके लिए लोग ख़ुशी ख़ुशी अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया करते
थे. एक ये वक़्त है जब प्यार के नाम पर हत्या, बलात्कार, शोषण और साजिशें. इस सब
में प्यार और उसकी मासूम सी ख्वाहिशों के लिए लोगों के पास वक़्त ही कहाँ है? कभी प्यार
के खिलाफ लोग लाठी डंडे लेकर खड़े हो जाते हैं और कभी जिसे आपने प्यार किया वो ही
आपका विश्वास तोड़ देता है. मैंने भी अपनी पूरी जिंदगी केवल सच्चा प्यार किया है.
लोग कहते हैं कि तुम बार बार प्यार कैसे कर सकती हो? क्यूँ नहीं कर सकती भगवान्?
अगर कोई मेरी सच्चाई, ईमानदारी और मेरी कद्र नहीं करता तो क्यूँ मैं उसे छोड़ के
आगे नहीं बढ़ सकती? क्यूँ एक नई शुरुआत नहीं कर सकती. ये दुनिया बेहद खूबसूरत है
भगवान. इसलिए मैं इसकी ख़ूबसूरती पर विश्वास करना चाहती हूँ. जिंदगी को दूसरा,
तीसरा और चौथा ही क्या तब तक मौका देना चाहती हूँ जब तक मेरा सपना पूरा नहीं हो
जाता. पर अब ऐसा लगता है कि सब कुछ थम जाए. काश यहाँ से मुझे आगे न बढ़ना पड़े.मेरा
ये रिश्ता, मेरा ये आज अब तक का सबसे खूबसूरत रिश्ता है. अब तक का सबसे प्यारा आज
है. मैं इस आज को अतीत बनते नहीं देखना चाहती. मैं चाहती हूँ कि मेरी जिंदगी में
जिस जीवनसाथी की आपने कल्पना की है वो आप ही हो. मेरे ईश्वर हर इन्सान को जीवनसाथी
की ख्वाहिश होती है.मुझे भी थी. पर मैंने देखा कि मैं कितना भी सच्चा प्यार करूँ
लोग मुझमें बस अपनी कुछ देर की राहत ही तलाशते हैं जिंदगी भर का साथ नहीं. इसलिए धीरे
धीरे मैंने अपने लिए वो कल चाहना ही छोड़ दिया. जिसमें साल दर साल जिंदगी भर के लिए
कोई मेरे साथ होगा. मेरा मन डरता है कि साल दर साल बदलते चेहरे ही कहीं मेरा
मुक़द्दर बन कर न रह जाएँ.
भगवान प्यार इन्सान की ज़रूरत भी है और ख्वाहिश
भी. देखा जाए तो बेहद छोटी पर फिर भी बेहद ज़रूरी.
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