अध्याय २२
हे ईश्वर
बहुत थक गई हूँ मैं खुद को समझाते समझाते. मुझमें
कुछ कमी नहीं, उसमें थी. मुझमें कुछ गलत नहीं, उसमें था. मुझमें कुछ झूठा नहीं, उसमें
था. मैंने नहीं बदले थे रास्ते, उसने बदले. मैंने तो कोशिश की थी कि हम साथ हो
सकें. मैंने समझाया था उसे, कोशिश की थी रोकने की. पर उसने मेरे प्यार को लोगों की
नज़रों में एक गंदा मज़ाक बना कर रख दिया. लोग तो छोड़ो, मैं खुद अपनी ही नज़र में
दोषी थी. बार बार लगता था, इतना प्यार करने की क्या ज़रूरत थी? करती भी तो क्यूँ
उसे एहसास होने दिया मैंने? इसी प्यार का तो लोग
फायदा उठाते हैं. तुम्हारी मजबूर दुनिया के मजबूर लोग, अपनी मजबूरी की दीवार नहीं
गिरा पाए तो मेरी ही नज़र से गिर गए. क्यूँ बनाते हैं लोग ऐसे रिश्ते जिनकी उम्र
इतनी छोटी होती है, पर उनके दिए ज़ख्म उम्र भर रह जाते हैं.
कई बार की है एक नई शुरुआत मैंने. पर हर बार गलत
रास्ता पकड़ा है. मेरे माँ पापा कहते हैं जब आप अपने घरवालों की मर्जी के बिना कुछ
भी करोगे तो नतीजा तो यही निकलेगा. पर भगवान् उन लोगों का क्या जो घरवालों की
मर्ज़ी से करते हैं सब कुछ. क्या उनके साथ कभी कुछ गलत नहीं होता? हमने इतनी सारी
दीवारें बनाई हैं भगवान्. जात बिरादरी धर्म और देश दुनिया – ये सब भी कम पड़ा तो
कुंडली और ग्रह नक्षत्र बना डाले. लोग कितना भी कहें कि ये सब अन्धविश्वास है पर
ब्याह की गांठ बंधने से पहले एक बार ये फॉर्मेलिटी करते ज़रूर हैं. ‘आजकल ये सब कौन
मानता है’ से ‘फिर भी एक बार देख लेने में हर्ज़ नहीं है’ तक जाने में उन्हें समय
नहीं लगता.
हे भगवान मैं तो कहती हूँ प्यार की क्यूँ नहीं
मिलाईं हैं आपने कुंडलियाँ? जो लोग ‘कैजुअल’ रिश्ते में विश्वास रखते हैं उनको मिलते जुलते
लोग मिलें. जो मजबूरी के चलते प्यार की कुर्बानी देने वाले हैं उन्हें उनके जैसे
मजबूरों का साथ मिले और वो लोग जो प्यार के नाम पर एक भद्दी गाली हैं, ऐसों को तो
कोई न मिले. फिर वो लोग जो जीवन में प्यार तलाश रहे हैं, जिन्हें ऐसा साथी चाहिए
जिसका हाथ वो ज़िन्दगी भर थाम कर चल सकें, उन्हें मिले वैसा ही कोई. जो दिलोजान से
उनसे प्यार करे. जो हर हाल में उनका साथ दे. जो प्यार या तो न करे और अगर करे तो
पूरी ईमानदारी से उसको उसकी जगह और हक दे दे.
तुम्हारी दुनिया में ऐसे भी बहुत सारे लोग हैं
भगवान्, जिनसे प्यार संभाला नहीं जाता. वो कर तो लेते हैं प्यार पर उनकी डिक्शनरी
में एक शब्द होता है जो उनकी सारी मेहनत, सारी ईमानदारी और सारी कोशिशों पर पानी
फेर देता है. वो शब्द है वक़्त. जिस तरह हम एक पौधा लगायें पर उसमें पानी डालना भूल
जाएँ तो वो मुरझा जाता है, मर जाता है उसी तरह हम एक रिश्ता अपनाएं और उसे वक़्त और
परवाह से सजाना भूल जाएँ तो वो भी जी नहीं सकता.
हमने रिश्तों के बारे में बहुत सी गलतफहमियां पाल
रखी हैं भगवान्. रिश्ते बनाना बहुत आसान है और निभाना बेहद मुश्किल. ऐसा कुछ नहीं
है. जितना आसान एक रिश्ता बनाना है उतना ही आसान है उसे निभाना. अगर आप उस कल को
याद रखें जब आपकी जिंदगी में वो प्यार नहीं था, तो आपका आज बेहद खूबसूरत हो सकता
है. हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि जो आज हमारा है, कल न जाने कहाँ होगा. तो वो जब
तक है, उसे ख़ुशी दें, प्यार करें, उसकी परवाह करें. हर दिन ऐसे ही जियें जैसे वो
आपका उनके साथ पहला दिन हो. एक रिश्ता जो इतना सरल हो सकता है, हम खुद उसे इतना
मुश्किल कर देते हैं. मेरे पास वक्त नहीं है – ये वो धीमा ज़हर है जो आपके रिश्ते
की जड़ को खोखला कर देता है. मैं जानती हूँ आप अपने पक्ष में तरह तरह के तर्क जुटा
रहे होंगे. पर सच! आपका दफ्तर, आपका परिवार और उससे जुड़ी जिम्मेदारियां एक तरफ और
दो पल किसी के साथ सुकून से बैठना एक तरफ. हर रिश्ते से जुड़े कुछ खास पल होते हैं
जिनको याद रखने में आपका कुछ नहीं जाता.
क्यूँ अकेला छोड़ देते हैं हम अपने प्यार को
दुनिया की भीड़ में? क्यूँ देते हैं लोगों को मौका कि वो आपकी जगह ले सकें. ऐसा भी
तो नहीं है कि ऐसे लोग कोई जनम जनम के रिश्ते में विश्वास करते हैं और हमेशा के
लिए आपकी जगह लेना चाहते हैं. ऐसे लोग आपके रिश्ते की हल्की सी दूरी को एक चौड़ी
खाई में बदल देते हैं. बचा कर रखिये अपने प्यार को ‘वक़्त नहीं है’ के ज़हर से. आपकी
थोड़ी सी परवाह से आपका रिश्ता बच सकता है. वैसे भी ज़िंदगी भर के लिए किसी का हो
जाना दुनिया की सबसे खूबसूरत बात होती है और ये खूबसूरत बात आपके साथ भी हो सकती
है.
हे ईश्वर जितने भी सच्चा प्यार करने वाले इस
दुनिया में हैं, समझा दो उन्हें. प्यार का इज़हार करने से पहले सोच लें कि कल किसी
भी ‘काश, लेकिन और शायद’ को वो अपने रस्ते का रोड़ा नहीं बनने देंगे. उनका वो सच्चा
प्यार जो सिर्फ उनकी ख़ुशी चाहता है और बदले में सिर्फ एक मुकम्मल रिश्ता.
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