अध्याय २५
हे ईश्वर
वाराणसी में मारे गए लोगों की तसवीरें सोशल
मीडिया पर नंगा नाच कर रही हैं. क्यूँ है दुनिया तुम्हारी ऐसी? सड़ती हुई लाशों में
उसको स्कूप नज़र आता है, बाईट दिखाई देती है. लोग मदद का हाथ बढ़ाने के बजाए हादसे
की ज्यादा से ज्यादा भयानक तसवीरें और विवरण जगह जगह भेजने में लगे हैं. क्यूँ लोग
ये नहीं सोचते कि ऐसे मंच का सदुपयोग वो प्यार बाँटने के लिए और सकारात्मक सन्देश
देने के लिए भी कर सकते हैं. ये भी नहीं सोचते कि कच्ची उम्र के नौजवान और गर्भवती
औरतों जैसे संवेदनशील लोग जब इस तरह की हौलनाक तसवीरें देखेंगे तो उनके ऊपर कितना
बुरा असर पड़ेगा. पर ये तो फैशन है आज कल का भगवान्! मेरी वाली तेरी वाली से ज्यादा
भयानक है. अगर ऐसा नहीं होता तो खून में डूबे एक्सीडेंट की वीडियो बनाने के बजाए
लोग पीड़ित की मदद करते. दो टुकड़ों में बंटी वो बच्ची याद आ गई आज. उसके आखिरी पलों
का वो पूरा मंज़र आँखों के आगे नाच गया. मुझे किसी ने गलती से भेज दिया था. १०
सेकंड भी बर्दाश्त नहीं कर पाई उसे मैं. उस पर भी कई कई रातें सो नहीं सकी थी. उसकी
मां की चीखें कानों के पर्दे फाड़ रहीं थीं. पता नहीं लोग कैसे उसे देख भी पाए और
किसी से बाँटने की हिम्मत भी जुटा ली.
अब अपनी बात पर आती हूँ. ‘उसने कहा था’* और ‘विश्वास
नहीं है क्या?*’ (अध्याय ६) की अपार सफलता के बाद ये एक नया वाला आज मार्केट में ‘लांच’
किया गया. मेरे विश्वास की परीक्षा को एक और नाम मिल गया है - ‘भरोसा करते हैं लोग
मुझ पर.’ किसी ने एक बार फिर उनको अपनी सारी बातें, अपने सारे राज़ बता दिए. ठीक
उसी तरह जिस तरह मैंने बताया था सब कुछ अपने बारे में. एक एक करके मेरे मन की हर बात,
हर राज़ उनसे बाँट लिया था. अभी कुछ दिन पहले ऐसा करने का नतीजा भी भुगत लिया मैंने.
उन्होंने गुस्से में आकर मेरी वही सारी बातें मेरे मुंह पर मार दीं. मैं कितनी गलत
हूँ इस बात का एहसास आपका समाज मुझे कभी नहीं दिला पाया ईश्वर. मगर मेरे अपनों को
एक पल भी नहीं लगता मुझे मेरी जगह दिखाने में, मेरी कमतरी का एहसास करवाने में. जो
लोग इसे आज पढ़ रहे होंगे मैं उनसे गुज़ारिश करती हूँ. बाहर वालों की गलतियाँ माफ़
करने के बजाए अपनों की गलतियों के लिए उन्हें माफ़ करना सीखिए. कोई पर्फेक्ट नहीं
होता और गलती किसी से भी हो सकती है. इसलिए इन्सान आपसे मिलने से पहले जो कुछ भी
था, उसके लिए उसे आज ज़िम्मेदार मत ठहराइए. हर इन्सान को हक है कि उसकी जिंदगी में
ऐसा एक शख्स हो जो उसके सात खून माफ़ कर सके. सजा दे तो अकेले में, सबके सामने
नहीं. सबके सामने उसे सिर्फ भरोसा दिलाए कि वो उसके साथ हमेशा है, हर हाल में है
और हर तरह से है.
और एक ज़रूरी बात – आपके दोस्त आपका बहुत कुछ हो
सकते हैं, पर कोई एक ऐसा होता है जिसके लिए आप सब कुछ हैं. उस इन्सान को दुःख
पहुँचाने और अपने दोस्तों के कहने पर उसके बारे में राय बनाने से पहले सोच लीजिये
या हो सके तो उससे पूछ लीजिये. उससे नहीं तो अपने दिल से पूछ लीजिये – जवाब अपने
आप मिल जाएगा. मेरी जिंदगी में ऐसा अक्सर होता है कि मैंने लोगों के लिए जो कुछ भी
किया लोग अक्सर उसे भूल जाते हैं. मेरी बुराइयाँ या मेरा अतीत या मेरी कमियां मेरे
रिश्ते पर भारी पड़ जाती हैं. लोग भूल जाते हैं कि मैं उन्हें किस हद तक चाहती हूँ,
कितना प्यार करती हूँ, उनके प्रति कितनी वफादार हूँ. मैं ये तो नहीं कहती कि मैं
अपने किए के बदले में कुछ चाहती हूँ पर इतना तो चाह सकती हूँ न कि मेरी कड़वी जुबान
के बजाए कोई मेरा साफ़ दिल देख ले.
कभी कभी मुझे लगता है मेरे ईश्वर कि आपने कोई ऐसा
इंसान बनाया ही नहीं जो मुझे समझ सके. या जान सके कि मैं क्या चाहती हूँ जिंदगी
से. आज मैंने कहा उनसे कि आप चाहते हैं किसी के साथ होना इसलिए कोई आपके साथ है. ‘उसी
के साथ रह लीजिये.’ कहते ही जवाब मिला ‘और तुम किसी और के साथ, है न!!’ नहीं
भगवान् जब वो नहीं थे तब भी मैं किसी और के साथ नहीं थी. उनके जैसे इन्सान का साथ
मिलने के बाद कुछ और चाह भी कैसे सकती हूँ? पर मैं अच्छी तरह से जानती हूँ कितना
आसान है उसके प्यार में पड़ जाना. बहुत आसान है उस पर भरोसा करना. बहुत आसान है
उसके नज़दीक आना. और जो लोग ऐसा करते हैं वो कुछ गलत नहीं करते क्यूंकि भरोसे का
मान रखना उनसे बेहतर कोई नहीं जानता. मुझे डर बस इतना है कि दिखावापसंद और
मतलबपरस्त लोग जो अपने लिए फौरी राहत तलाशते रहते हैं, अपने स्वार्थ को ज़रूरत जता
कर उनका फायदा न उठाने लगें. दुनिया बेहद स्वार्थी है भगवान् और ये बात मुझसे
बेहतर कोई नहीं जानता.
No comments:
Post a Comment