Saturday, 5 May 2018

तुम्हारे लिए


मेरे ईश्वर

आपने मेरी दुआ कबूल कर ली पर कितने अलग तरीके से. आज मैं हूँ उसके पास, उसके साथ.आज न जाने कितने दिनों के बाद एक बार फिर पहले जैसी फिक्र जताई उसने, पहले जैसे बातें की, वक़्त बिताया. मन एकदम से शांत हो गया, अजीब सा चुप चाप. पर मुझे डर लग रहा है. उसने इतनी हिम्मत की है आज भगवान्.उसे सही रास्ता दिखा दो. मेरे ईश्वर आपने ही हमें मिलाया है, आप ही उसके मन के सारे वहम हटा दो. प्लीज भगवान् उसे सही और सहज रास्ता दिखा दो. उसे एहसास दिला दो कि वो गलत नहीं है, सपने में भी उसके जैसे इन्सान से कोई गलती नहीं हो सकती.

एक इन्सान जब किसी चीज़ पर विश्वास करने लगता है न तो बहुत मुश्किल होता है उसे उसके विश्वास से परे कुछ और समझाना. ऐसा सिर्फ आप कर सकते हो भगवान्. प्लीज भगवान् उसके मन से पाप के सारे बोझ हटा दो. उसे एहसास दिला दो कि जीवन को चलने और किसी दिशा में मोड़ने वाले आप हो. मेरे सारे निर्णय मैंने आपके हाथों में छोड़ दिए थे. इसलिए कभी सवाल नहीं करती. इसलिए सवाल नहीं किया. इस बात की सज़ा उसे क्यूँ मिले भगवान्? क्यूँ? क्यूँ उसके मन में पाप का बोझ हो? क्या करूँ कि उसके मन की ये दुविधा ख़त्म हो जाये, उलझन मिट जाए.

हे भगवान् आज बहुत दिनों के बाद कितनी सारी प्यारी प्यारी यादें आखों के आगे आ रही हैं. बहुत खूबसूरत जिंदगी दी है आपने मुझे भगवान्. उसके जैसा जीवन साथी देकर आपने उसे पूरा भी कर दिया. जानती हूँ दुनिया और समाज की नज़रों में वो गैर है. समाज तो क्या मेरे अपनों की नज़रों में भी मेरा वो कुछ नहीं. पर ईश्वर प्यार आप ही का रूप है. ये रिश्ता आप का ही तो आशीर्वाद है मेरी ज़िंदगी में. तो कैसे कह दूँ कि वो मेरा कुछ नहीं. याद है किस तरह ढाल बनकर खड़ा हो जाता है मेरी हर मुसीबत के आगे. हम जब भी कहीं जाते हैं भीड़ में मेरा हाथ थाम कर, मेरे आगे खड़े होकर या मेरे लिए बैठने की जगह बना कर जब वो मेरे नज़दीक खड़ा हो जाता है, ज़िन्दगी इतनी प्यारी लगने लगती है. अपने ऊपर बहुत गर्व होता है और उस पर भी जब वो किसी गलत बात का विरोध करने के लिए अपनी आवाज़ उठता है. उसने तो मुझे भी आवाज़ उठाना सिखा दिया.

जब कभी सफ़र के बीच में अचानक वो मुझसे देश दुनिया की बातें करने लगता है, मन करता है सुनती ही रहूँ. आज बेहद लम्बे अरसे बाद कुछ बेहद प्यारी बातें याद आ रही हैं. याद आ रही है उसकी हर खासियत, हर वो खूबी जिसने मेरा दिल जीत लिया. और सबसे ज्यादा याद आती है वो शाम जब मैंने उससे उसका हर सपना, हर ख्वाहिश पूछी थी. हे ईश्वर उसका हर सपना पूरा करो. समाज में उसे उसकी सही जगह दिला दो. जिस तरह मेरी ज़िन्दगी में आपने मुझे सुख, चैन और सम्मान से जीने का मौका दिया, उसे भी दो. भगवान् उसकी बेचैनी मुझसे देखी नहीं जाती. बहुत कर लिया उसने संघर्ष. अब उसे उसकी सही जगह तक जाने दो. प्लीज भगवान्.

हे ईश्वर आपकी दुनिया मुझसे पूछती है क्या रिश्ता है मेरा उससे. क्या बताऊँ? आप ही तो ले आए थे उसे मेरी ज़िन्दगी में और आज आपने उसे मेरी जिंदगी बना दिया. जब वो सर पर हाथ रखता है, ऐसा लगता है आपका हाथ है. कभी दिलासा तो कभी सहारा देता हुआ. कभी शाबाशी तो कभी डांट. वो अजीब सा एहसास जो सिर्फ उसे देख कर आता है. जैसे बच्चा दिन भर अजनबी लोगों के बीच रहा हो और अचानक अपने उसे लेने आ जाएँ. याद है मैं बचपन में अक्सर खो जाया करती थी. आज भी खो गई हूँ. अपने आप को पहली बार मिली हूँ जैसे. मैंने ख़ुशी तो महसूस की है कई बार पर खोने का डर भी बड़ी शिद्दत से महसूस किया है. खोया भी है. फिर जीना भी सीखा है चीज़ों के बिना, रिश्तों के बिना, प्यार के बिना. पर उसके मिलने के बाद लगता है कि अब मुझे और भटकना नहीं पड़ेगा. ख़त्म हो गई है मेरी तलाश. पूरा हो गया है मेरा अधूरापन.

सब मुझ पर नाराज़ हैं क्यूंकि मैंने आपको अपनी ज़िन्दगी में जगह दी है. सब आपसे नाराज़ हैं क्यूँकि आपने मेरा साथ दिया. हम सबको तो मना नहीं सकते. पर आपसे कह रहे हैं भगवान आप इन नाराज़ लोगों से हमें बचा लो. हमारे प्यार को बचा लो. प्लीज भगवान्.

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