अध्याय २६
हे भगवान
तुम जैसी लड़की...!! सुन सुन के कान पक गये हैं
मेरे. हर बार कठघरे में खड़े खड़े अब तो पांव दुखने लगे हैं, बैठने का कुछ तो ठिकाना
करो ईश्वर. लगता है सर पर दो सींग उग आए हैं या अचानक मैंने गले में कोई बोर्ड
टांग लिया है. क्या होती है मुझ जैसी लड़की और क्या होता है मुझ जैसी लड़कियों के
साथ आपकी दुनिया में. मुझे गलत मत समझना कोई. मैं ‘पीड़ित’ वाला कार्ड खेलने में
विश्वास नहीं रखती. मैं तो केवल सच सबके सामने लाना चाहती हूँ और सच कब चाशनी में
डूबा हुआ मिलता है?
कल मेरी एक पुरानी तस्वीर देखकर आपने मेरे अतीत
के सारे पन्ने मेरे सामने खोल कर रख़ दिए. आपके शब्दों में:
‘तुम्हारी तस्वीर बहुत कुछ कहती है. तुम्हारी
तस्वीर को देख कर ऐसा लगता है शोषण को एक चेहरा मिल गया. तुमने यहाँ तक आने के लिए
बहुत मेहनत की है. तुम्हारी मेहनत को सलाम! इस तस्वीर में एक ऐसी लड़की है जो बहुत
सहमी सहमी सी रहती है. बहुत हिचकिचाती है कुछ बोलने से पहले. एक ऐसी लड़की जिसकी
आँखों में बहुत बड़े सपने हैं पर डरती है कहीं पूरे न हुए तो! एक ऐसी लड़की जो बहुत
कुछ अन्दर समेटे हुए है. इच्छाएं तो बहुत हैं लेकिन... एक ऐसी लड़की जिसे उड़ने का
शौक है पर डरती है कहीं गिर न जाए. हमेशा किसी का डर दिमाग में है. कहीं कुछ न हुआ
तो..? बहुत कुछ है...क्या क्या बताऊँ? बहुत सी दबी हुई इच्छाएं. एक ऐसी लड़की जो
अपने दोस्तों की तरह रहना चाहती है पर रह नहीं सकती. मेरी अब हिम्मत नहीं हो रही
आगे बोलने की. मैं उस स्थिति की कल्पना भी नहीं कर पा रहा. मैं रो दूंगा.
मैंने आपको बहलाने की कोशिश की थी ये कहकर कि वो
सब अब अतीत है, बीत चुका है. फिर भी आपने कहा ‘मैं किसी को ऐसे नहीं देख सकता इस
तरह से. जानता हूँ अतीत है पर भयानक है.’ मैंने फिर से कोशिश की ‘मैं वो सब पीछे
छोड़ चुकी हूँ. देखो न, आज मैं हम सब में सबसे बेहतर स्थिति में हूँ.’ फिर भी आप थे
कि उस लम्हे में बहते ही चले गये. आपने तभी तो कहा ‘पता नहीं तुमने वो सब कैसे सहा
होगा?’ मैं समझ नहीं पा रही थी कि कैसे आपको उस सब से बाहर लाऊं. खुद को भी बचाना
था उस अतीत से जिसमें बहुत कुछ था जिससे आज मैं इतनी दूर निकल आई हूँ.
आप भी बस कहते चले गए ‘तुमने बहुत कुछ बर्दाश्त
किया है. पता नहीं तुमने कैसे झेला वो सब. तुमने बहुत कुछ सहा है. इस तस्वीर में
एक ऐसी लड़की जो अपनी मर्जी से साँस भी नहीं ले सकती. कहीं आ जा नहीं सकती.’ जब आप
बोल रहे थे ऐसा लग रहा था कोई मेरे बरसों के ज़ख्मों पर मरहम रख रहा है. और उस एक
पल के लिए मैं भी उस लम्हे को महसूस करने लगी थी. लगने लगा था कि मैं वही बन गई
हूँ दुबारा. एक बार फिर से वो लड़की जिसके बारे में आप बात तक नहीं कर पा रहे थे.
पर खुद को संभाल कर मैंने आपको अपनी एक खुशनुमा तस्वीर दिखा कर संभाल लिया. पर
मुझे सँभालने वाला कौन है भगवान्?
सचमुच बहुत दूर आ गयी हूँ मैं. मुश्किल से मुश्किल
वक़्त में मैंने अपने आप पर भरोसा बना कर रखा. कोशिश करती रही उस सब से निकलने कि.
वो सब था क्या? वो और कुछ नहीं एक लम्बा इंतज़ार था. इंतज़ार कि किसी दिन मैं कुछ
सार्थक करुँगी. कुछ ऐसा जिससे मैं न सिर्फ अपनी बल्कि अपने आस पास के कमज़ोर लोगों
की मदद कर सकूँ. एक वक़्त जब अपने सपनों और ख्वाहिशों को मैं खुद अपने दम पर पूरा
कर सकूँ. मैंने सचमुच बहुत कुछ चाहा पर वो सब पाने के लिए एक बहुत लम्बा इंतज़ार भी
किया. जब वो सब मिल गया है तो ऐसा नहीं है कि कोई नई ख्वाहिशें जन्म ले रही हैं. बस
एक राहत सी मिल जाती है कि जो तब हुआ था वो अब कभी नहीं होगा. हमेशा मैं अपने लिए
और अपने सपनों के लिए तैयार रहूंगी.
No comments:
Post a Comment